लखनऊ। कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक मोर्चे को मजबूत करने के लिए सूबे की योगी सरकार एक के बाद एक कई कदम उठा रही है। इसी क्रम में सरकार ने अब यूपी के लाखों कर्मचारियों के आधा दर्जन से अधिक भत्तों को समाप्त कर दिया है, जिससे सरकार को हर साल 15 सौ करोड़ से अधिक की धनराशि मिलेगी। इस रकम का इस्तेमाल स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने में किया जाएगा। वित्त विभाग ने इस बाबत शासनदेश जारी कर दिया है। सरकार ने इससे पहले विधायक निधि को भी सस्पेंड किया था और उस धनराशि को कोविड-19 से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग द्वारा प्रदेश के कर्मचारियों को मिलने वाले 6 अलग अलग विशेष भत्तों को हमेशा के लिए खत्म किए जाने को लेकर अब कर्मचारियों में आक्रोश दिखाई देने लगा है। मंगलवार को सचिवालय संघ की समन्वय समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक सचिवालय में हुई, जिसमें इस समिति से जुड़े अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में एक सुर से वित्त विभाग के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
उत्तर प्रदेश सचिवालय राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष शिव गोपाल सिंह ने कहा कि बैठक में यह तय किया गया है कि वित्त विभाग के अफसरों को भत्तों को बहाल किए जाने को लेकर एक प्रत्यावेदन दिया जाएगा। शिव गोपाल सिंह ने कहा कि सचिवालयकर्मियों को मिलने वाला सचिवालय भत्ता उनके लिए एक सम्मान राशि है सचिवालय एक अपैक्स बॉडी है। सरकार के अपील पर कर्मचारियों ने कोरोना से लड़ाई में अपने वेतन का एक अंश पहले ही दिया हुआ है। वह वेतन का कुछ और अंश सरकार की अपील पर दे सकते हैं लेकिन सचिवालय भत्ता उनके आत्मसम्मान से जुड़ा हुआ मसला है।
सरकार के फैसले के बाद राज्य के कर्मचारी, शिक्षक और पुलिस विभाग को मिलने वाले सचिवालय भत्ता, नगर प्रतिकर भत्ता और अवर अभियंताओं का विशेष भत्ता कम हो जाएगा। इसके अलावा पुलिस विभाग की अपराध शाखा, सीबीसीआईडी, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग, अभिसूचना विभाग, विजिलेंस, सुरक्षा शाखा के अधिकारीयों और कर्मचारियों के वेतन में कमी आएगी। साथ ही लोक निर्माण विभाग में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलने वाला रिसर्च भत्ता, अर्दली भत्ता और डिजाइन भत्ता अब नहीं मिलेगा। सिंचाई विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलने वाला इन्वेस्टीगेशन एंड प्लानिंग और अर्दली भत्ता भी समाप्त हो जाएगा।
पहले इन भत्तों का भुगतान 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थगित करने का आदेश जारी किया गया था। अब इन भत्तों को समाप्त करने का फैसला लिया गया है। आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही सरकार को इन भत्तों के समाप्त होने पर बड़ी राशि की बचत तो होगी, लेकिन प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी व शिक्षकों को मिलने वाली सैलरी कम हो जाएगी। दरअसल, नगर प्रतिकर भत्ता 250 से लेकर 900 रुपए तय था जो अब नहीं मिलेगा। वहीं, सचिवालय भत्ते की अधिकतम सीमा 2500 रुपए थी।