सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) का कहना है कि ‘तुर्की के एक फाइटर जेट ने ऐन इस्सा ग्रामीण इलाकों के सईदा गांव में सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) के सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। जिसके कारण जोरदार विस्फोट हुआ है।’
बता दें कि अक्तूबर 2019 में उत्तर-पूर्व सीरिया में तुर्की के एकतरफा सैन्य कार्रवाई की थी। तुर्की के लड़ाकू विमानों एवं तोपखाने ने सीरिया में कुर्दों के नियंत्रण वाले इलाके को निशाना बनाया था जिससे हजारों की संख्या में लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा था।
इस घटनाक्रम पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि ‘हम उत्तर पूर्व सीरिया में तुर्की के एकतरफा सैन्य कार्रवाई से काफी चिंतित हैं। तुर्की की कार्रवाई क्षेत्र की स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमतर कर सकती है।’
वहीं अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर-पूर्वी सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई के विरोध में तुर्की अधिकारियों के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा कर दी थी। इसके साथ ही ट्रंप ने कहा था कि यदि तुर्की तबाही की राह पर बढ़ता चला गया तो हम उसकी अर्थव्यवस्था को तेजी से बरबाद करने को तैयार हैं। साथ ही स्टील पर शुल्क बढ़ाते हुए अमेरिका ने 100 अरब डॉलर के व्यापार सौदे पर बातचीत भी बंद कर दी थी।
ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के साथ ही प्रशासन को तुर्की पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया था। अमेरिका के सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले के बाद अंकारा ने सीमा पर कुर्द लड़ाकों पर हमला किया था। अमेरिका के इस कदम की रिपब्लिक पार्टी ने निंदा की थी और कुछ ने इसे कुर्द के प्रति ‘विश्वासघात’ बताया था।
ट्रंप ने एक बयान में कहा था कि ‘यह कार्यकारी आदेश मानवाधिकार के गंभीर हनन, संघर्ष विराम को बाधित करने, विस्थापित लोगों को घर लौटने से रोकने, शरणार्थियों को जबरन वापस उनके देश भेजने या सीरिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को खतरा पहुंचाने वालों के खिलाफ अमेरिका को कड़े प्रतिबंध लगाने का अधिकार देगा।’ उन्होंने कहा था कि तुर्की की सैन्य कार्रवाई आम नागरिकों को खतरे में डाल रही है और क्षेत्र में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को खतरा पहुंचा रही है।