भत्ता बहाली व अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन के मूड में राज्य व निकाय कर्मचारी
लखनऊ। करीब आधा दर्जन भत्तों को समाप्त किए जाने व कई अन्य समस्याओं को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारियों में रोष है। कर्मचारियों ने भत्तों की बहाली को लेकर कई बार सांकेतिक धरना प्रदर्शन भी किया है। लेकिन कोई सुनवाई न होने के बाद अब उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के महासचिव शशि कुमार मिश्र ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपनी बात रखी है।
श्री मिश्र ने अपने पत्र में कहा है कि वैश्विम महामारी के इस दौर में भी प्रदेश का हर कर्मचारी अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभा रहा है। कर्मचारी लगातार कोरोना से बचाव के कार्यों को अंजाम दे रहा है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज प्रदेश का व निकाय का कर्मचारी वर्ग अपनी बहुत सी समस्याओं को लेकर परेशान है। अपनी मांगों व समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने के लिए कर्मचारियों ने कई बार सांकेतिक प्रदर्शन भी किए।
स्थानीय निकाय कर्मचारियों ने इस संबंध में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा व लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया सहित कई कैबिनेट मंत्रियों के समक्ष भी अपनी समस्याएं उठाईं। लेकिन आज तक सरकार व शासन की तरफ से कर्मचारियों की मांगों व समस्याओं के निदान को लेकर कोई पहल नहीं हुई। शशि कुमार मिश्र ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने भी सरकार व शासन के जिम्मेदार मंत्रियों व अधिकारियों को पत्र लिखकर इस संबंध में कोई निर्णय लेने का अनुरोध किया था।
पहले 20 अप्रैल से होने वाला था आंदोलन
कोई सुनवाई न होने पर 20 अप्रैल से आंदोलन का निर्णय भी लिया गया था। लेकिन कोरोना संकट के लिए चलते कर्मचारियों ने आंदोलन टाल दिया था। श्री मिश्र ने लिखा है कि बार-बार अनुरोध करने के बाद भी कर्मचारियों की सुनवाई न होने के चलते अब आंदोलन के अलावा कोई उपाय नहीं बचा है। इसलिए इन्डियन पब्लिक सर्विस इम्पालाइज फेडरेशन आल इन्डिया के आवाहन पर महासंघ एवं संयुक्त मोर्चा दूसरे चरण का आंदोलन शुरू करेगा। जिसके क्रम में 19 व 20 मई को पूरे देश का कर्मचारी काला फीता बांध कर पुनः आन्दोलन करेगा।
कर्मचारियों की मूलभूत समस्याओं की अनदेखी
श्री मिश्र ने कहा है कि आज प्रदेश के लाखों लाख कर्मचारियों का मौलिक अधिकार ही खत्म करने की कोशिश की जा रही है। हम अब इन कर्मचारी विरोधी नीतियों को और सहन करने की स्थिति में नहीं हैं। केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कर्मचारियों की मूलभूत समस्याओं पर अनदेखी कर रही है। चाहे वह हमारे मिलने वाले भत्ते हो, वेतन विसंगतियों का मामला हो, या पदोन्नति, स्थाईकरण व रिक्त पदों की भर्ती हो या दैनिक वेतन, कार्यदायी, आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के परिश्रमिक बढाने व उन्हें स्थाईकरण का हो अथवा प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति हो।
प्रदेश सरकार ने खत्म कर दिए 6 भत्ते
श्री मिश्र ने कहा है कि प्रदेश की निकायों में पिछले 70 वर्षों से किसी भी कैडर का उच्चीकरण अथवा पुर्नगठन सम्भव न हो सका। आज विभिन्न सम्वर्गो के सैकड़ों पद वर्षों से खाली पड़े हैं। इन पदों पर न ही विभागीय पदोन्नति की जा सकी और न ही शासन को इसकी सूचना ही भेजी जा सकी। इन समस्याओं का समाधान करने के बजाय केन्द्र सरकार द्वारा मंहगाई भत्ता रोकने के बाद प्रदेश सरकार ने पहले से मिल रहे 6 भत्तों को भी समाप्त कर दिया।