शिवपुराण के मुताबिक महाशिवरात्रि पर सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसलिए इस दिन व्रत और शिवजी की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। शिवरात्रि पर रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा की जाती है। इस बार ग्रहों और नक्षत्र के शुभ संयोग पर ये पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा।
शिवरात्रि 21 फरवरी को क्यों
बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार जब सूर्य कुंभ राशि और चंद्र श्रवण नक्षत्र के साथ मकर राशि में होता है तब फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की रात ये पर्व मनाया जाता है। 21 फरवरी की शाम 5.36 बजे तक त्रयोदशी तिथि रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और 22 फरवरी तक रहेगी। इसलिए इस साल ये पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा।
रात के 4 प्रहर में शिव पूजा
शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है। रात्रि के चार प्रहर होते हैं और शिवपुराण के अनुसार हर प्रहर में शिव पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। शिवरात्रि के दिन सन्ध्याकाल से पहले स्नान करना चाहिए। उसके बाद पूजा करें या मन्दिर जाना चाहिए। शिवजी की पूजा रात में भी करना चाहिए। शिवरात्रि पर पूरी रात जागरण और पूजा करने के बाद अगले दिन अपना व्रत छोड़ना चाहिए।
पूरे साल में 12 शिवरात्रि लेकिन माघ मास की चतुर्दशी खास
साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि प्रहर की पूजा शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी। अगले दिन सुबह मंदिरों में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाएगी।