कोरोना के कहर के बीच लॉकडाउन के दौरान EMI जमा करने से दी गई तीन महीने की छूट यानी मोरेटोरियम के एवज में बैंक अपने खुदरा ऋण खाताधारकों से डेढ़ से 11 महीने तक की अतिरिक्त EMI वसूल करेंगे। दूसरी तरफ कहें, ऋण देने वाले खाताधारक अगर किस्तें नहीं चुका पा रहे हैं तो उन्हें अपनी साख बचाने के लिए EMI की कई गुना रकम चुकानी होगी। ऐसा मोरेटोरियम में किए गए प्रावधान और पुराने नियम को दरकिनार करने के कारण होगा। लॉकडाउन को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने ईएमआइ स्थगन (मोरेटोरियम) का मौका दिया।
आरबीआइ की ओर से दी गई छूट के मुताबिक पहली मार्च से 31 मई, 2020 के बीच किस्तें नहीं देने पर खाता एनपीए नहीं होगा। लेकिन, इस अवधि के दौरान ब्याज देना होगा। यह ब्याज ईएमआइ पर न लगकर मूलधन पर लगेगा। ब्याज की दर वही होगी, जो ऋण लेने के समय तय हुई थी। इसकी एकमुश्त अदायगी भी कर सकते हैं और मूलधन में जुड़वाकर ईएमआइ के रूप में भी दे सकते हैं। इस तरह देखा जाए तो मोरेटोरियम अवधि में लगे ब्याज पर भी ब्याज देना होगा, जिसकी लोन जितनी लंबी अवधि का बाकी होगा, उसे उतनी अधिक रकम चुकानी होगी।
ऐसे समझ सकते हैं
अगर आपने 20 लाख रुपये का ऋण 20 साल यानी 240 महीने के लिए 8.4 फीसद वार्षिक ब्याज की दर पर लिया । ईएमआइ करीब 17,230 रुपये हुई। 12 किस्तें दी जा चुकी हैं। अभी 19 साल की किस्तें बाकी हैं। मूलधन में करीब 46 हजार रुपये घटे हैं यानी 19.54 लाख रुपये का मूल कर्ज बाकी है। मोरेटोरियम का लाभ लेने पर मार्च से मई 2020 तक की किस्तें 241वें, 242वें और 243वें महीने जमा करनी होंगी लेकिन, मूलधन 19.54 लाख रुपये पर 8.40 फीसद की दर से तीन महीने का 41,034 रुपये ब्याज देना होगा। एकमुश्त ब्याज देते हैं तो जून 2020 में जमा करना होगा और यह ईएमआइ का करीब ढाई गुना हुआ। अगर इस मूलधन में जुड़वाते हैं इस ब्याज पर भी 8.40 फीसद की दर से 19 साल का ब्याज लगेगा, जो 82,308 रुपये होगा। यानी करीब पांच ईएमआइ अधिक है। समान ब्याज दर पर 30 साल के लिए 20 लाख रुपये के ऋण पर ईएमआइ 15,237 रुपये होगी। एक साल की किस्त दी है तो करीब 29.65 लाख रुपये मूलधन बाकी होगा। इस पर तीन माह का ब्याज 62,265 रुपये होगा। इसे किस्तों में देने पर करीब 1,64,952 रुपये देने होंगे। यानी करीब 11 EMI अधिक देनी होगी।