खत्म होती नौकरियां व गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यूपी, गुजरात व मध्य प्रदेश ने किया बदलाव
नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने दुनियार भी की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचाया है। भारत में पिछले करीब 45 दिनों से लाॅकडाउन के चलते सभी तरह की गतिविधियां ठप हैं। लाॅकडाउन से हुए नुकसान व काम-धंधा बंद होने से से परेशान कंपनियों ने अब अपने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। सरकार की अपील व रोक के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां छिन गई हैं। ऐसे में देश के तीन राज्यों ने अपने यहां लेबर लाॅ (मजदूरी कानून) में संशोधन किया है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात ने लेबर लाॅ में संशोधन करते हुए काम करने के घंटों को प्रति दिन 4 घंटे बढ़ा दिया है। हालांकि इसकी कोई बाध्यता नहीं रखी गई है। सरकार का कहना है कि जो ओवर टाइम करना चाहेगा, वह कर सकता है। उसे अतिरिक्त पैसों का भुगतान किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे लोगों की नौकरियां सुरक्षित होंगी, साथ ही निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकारें मान रही हैं कि इस कदम से थमी हुई अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से रफ्तार मिलेगी। लेकिन सरकारों के इस नए कानून का ट्रेड यूनियनों ने विरोध किया है।
ट्रेड यूनियनों को डर है कि ये हमेशा के लिए सभी कर्मचारियों पर अनिवार्य हो जाएगा। ऐसी स्थिति में लेबर का शोषण होने का शक है। अभी नियम काफी सख्त हैं। लेकिन फिर भी कई कंपनियों में मजदूरों का शोषण कर रही है। जिससे मजदूर परेशान हैं।
जब नौकरियां नहीं होंगी तो कैसा लेबर राइट्स
केंद्रीय श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने कहा कि आज सबसे जरूरी है नई नौकरियां पैदा की जाएं। इसका मतलब है कि कर्मचारियों को काम पर रखने के नियमों के साथ-साथ सैलरी और कर्मचारियों की सुरक्षा के नियमों में ढील देनी होगी। बिना नौकरी के लेबर राइट्स के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं। बता दें कि सरकार ने मजदूरों को शोषण से बचाने के लिए पहले से बने कानून लेबर लाॅ में ढील दी है। जिसे मजदूरों की सुरक्षा के लिए बहुत ही जरूरी माना जाता है।