केंद्र ने देश में बने क्वारंटीन केंद्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि ये केंद्र शहर के बाहरी हिस्से में होने चाहिए। इन केंद्रों का प्रबंधन इस तरह होना चाहिए कि क्वारंटीन (एकांतवास) में रखे गए व्यक्ति और स्वास्थ्यकर्मियों के बीच कम से कम संवाद की जरूरत पड़े। क्वारंटीन में रखे गए लोगों के बुखार और सांस संबंधी लक्षणों की प्रतिदिन जांच होनी चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, इन केंद्रों को कम जोखिम वाले, आंशिक जोखिम वाले और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बांटा जाना चाहिए और संक्रमण से बचाव पर नियंत्रण के उपाय दिशा-निर्देशों के अनुसार ही अपनाए जाने चाहिए। किसी केंद्र के संपूर्ण समन्वय या निगरानी के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इंचार्ज या नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
इन केंद्रों पर ड्यूटी निभाने वाले डॉक्टरों, विशेषज्ञों तथा अन्य चिकित्सा अधिकारियों की नियमित जांच की जानी चाहिए और क्वारंटीन में रखे व्यक्तियों को संबंधित विशेषज्ञों की निगरानी में उपचार मिलना चाहिए।