नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें देश में लॉकडाउन के दौरान मुफ्त में कॉलिंग, इंटरनेट और डीटीएच सेवा देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान सूचना और मनोरंजन मिलना जरूरी है, नहीं तो लोगों की मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ेगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस एन वी रमना, एस के कौल और बी आर गवई की पीठ ने फटकार लगाते हुए कहा कि किस तरह की याचिकाएं दायर की जा रही हैं? लॉकडाउन के दौरान फ्री में इंटरनेट, कॉलिंग और डीटीएच देने की याचिका अधिवक्ता मनोहर प्रताप ने दायर की थी। मनोहर प्रताप ने पीठ से यह भी कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों पर मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ रहा है जिससे निपटने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि फोन, वीडियो कॉलिंग और ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग से लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग में अपनों की कमी महसूस नहीं होती है। इसके अलावा फोन, वीडियो कॉलिंग और स्ट्रीमिंग में व्यस्त रहने के कारण लोगों में कम तनाव होगा।
बता दें कि देश की टेलीकॉम कंपनियों ने अपने यूजर्स की इनकमिंग वैधता 3 मई तक बढ़ा दी है। इससे पहले लॉकडाउन 1.0 में भी एयरटेल, जियो, वोडाफोन आइडिया और बीएसनएल ने अपने ग्राहकों के नंबर्स की वैधता 14 अप्रैल तक बढ़ाई थी। इसके अलावा जियो, वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने अपने कुछ यूजर्स को 10 रुपये का टॉकटाइम भी दिया था।