साड़ी को भले ही पारंपरिक परिधान का टैग हासिल हो, लेकिन यह है कॉन्टेम्प्रेरी ड्रेस। शुरू से नजर डालकर देखिए तो आपको भई इस बात पर यकीन हो जाएगा। साड़ी का फैब्रिक और उसका स्टाइल समय-समय पर बदलता रहा। मसलन चंदेरी-माहेश्वरी जैसी साड़ियां सिल्क में भी आईं और सेमी कॉटन में भी। बांधनी-लहरिया सूती भी आए और शिफॉन, रेशमी भी। इस बदलाव के साथ एक और बात जुड़ी, ड्रैपिंग स्टाइल यानि बांधने का तरीका। पिनअप किए हुए पल्लू से लेकर कंधे पर पड़ा लापरवाह पल्लू और जींस के साथ पेयर की गई साड़ी के सथ कोट स्टाइल के ब्लाउज तक साड़ी ने बहुत बदलाव देखे। जहां तक डिजाइन का सवाल है, चंदेरी और माहेश्वरी ने बूटियों का स्टाइल छोटा-बड़ा किया, कभी पारंपरिक टेंपल बॉर्डर बनाई तो कभी जरी के बॉर्डर को चौड़ा या पतला किया, लेकिन इन साड़ियों को जादू कम नहीं हुआ। शिफॉन, ऑरगेंजा, बनारसी, पैठणी, कांजीवरम, इकत साड़ियों के कई प्रकार हैं जो आज भी वैसे ही चले आ रहे हैं। बस बदलता है तो इनके बांधने का अंदाज और इसी एक अंदाज से इस परिधान का अंदाजे-बयां ही बदल जाता है।
फैशन स्टाइलिस्ट कहते हैं कि साड़ी में अगर सबसे आकर्षक और सबकी तारीफ हासिल करना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि किस जगह कौन सी साड़ी पहनें और उसके साथ किस तरह की एक्सेसरीज कैरी करें। जैसे कॉरपोरेट मीटिंग में साड़ी का मटैरियल कोई भी हो, लेकिन ड्रैपिंग नॉर्मल होनी चाहिए। आमतौर पर प्लेन ब्लाउज़ के साथ चेक्स और स्ट्राइप्स पैटर्न की साड़ी या चेक्स ब्लाउज़ के साथ प्लेन साड़ी क्लासी लुक देती है। वहीं अगर मीटिंग न होकर कॉरपोरेट फंक्शन हो तो पैंट साड़ी आपको एकदम अलग लुक देगी। अगर साड़ी सिंपल है तो फ्रिल वाला यानि रफल ब्लाउज अच्छा लगेगा। चाहे तो लेयर्ड स्लीव्स ब्लाउज भी कैरी कर सकते हैं।
घर के फंक्शन्स में ब्राइट कलर्स अच्छे लगते हैं लेकिन अर किसी गंभीर समारोह में जाना हो तो कलर पर खास ध्यान दें। पेस्टल शेड्स में पीच, कोरल, एक्वा और ऑलिव ऐसे कलर्स हैं जो किसी भी फंक्शन में पहने जा सकते हैं। लाइट कलर में फ्लोरल प्रिंट अच्छे लगते हैं जबकि डार्क कलर में जियोमेट्रिक अलग लुक देते हैं।