नई दिल्ली। चीन के सरकारी टीवी चैनल ने कुछ माउंट एवरेस्ट की तस्वीरें पेश की है। जिसकी जानकारी ट्वीट किया है। दुनिया की यह सबसे ऊंची चोटी चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है। यह चीन और नेपाल में आधा-आधा बंटा है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन और नेपाल नें 1960 में सीमा विवाद के समाधान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके मुताबिक माउंट एवरेस्ट को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। इसका दक्षिणी हिस्सा नेपाल के पास रहेगा जबकि उत्तरी हिस्सा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के पास होगा। तिब्बत पर चीन का कब्जा है।
सीजीटीएन के ट्वीट के बारे में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। चीन तिब्बत और एवरेस्ट पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की ओर एवरेस्ट बेहद दुर्गम है और चीन की तरफ से इसका बहुत कम इस्तेमाल होता है। वहां से पर्वतारोही चढ़ाई नहीं करते हैं। उस तरफ से खड़ी चढ़ाई है और वीजा मिलना भी एक समस्या है।
चीन की जद में आ सकता है पूरा हिमालय
कोंडापल्ली ने कहा कि चीन ने एवरेस्ट पर अपनी तरफ 5जी नेटवर्क लगाया है। यह एक विवादास्पद कदम है क्योंकि इससे वह पूरा हिमालय उसकी जद में आ सकता है। इस 5जी नेटवर्क का सैन्य पहलू भी है क्योंकि इसे समुद्र की सतह से 8,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है।
इससे चीन भारत, बांग्लादेश और म्यांमार पर नजर रख सकता है। आने वाले दिनों में वह हिमालय क्षेत्र में अपनी इस तकनीक का फायदा उठा सकता है। जिसके बाद चीन और नेपाल के साथ संबंधों में कड़वाहट आ सकती है।
नेपाल में इसके खिलाफ आवाज उठनी शुरू
नेपाल में इसके खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई है। नेपाल के एडिटर और पब्लिशर कनक मणि दीक्षित ने ट्वीट किया चोमोलुंगमा-सागरमाथा-एवरेस्ट नेपाल और तिब्बतचीन के बीच आधा-आधा बंटा है। आप चोमोलुंगमा का तिब्बत की तरफ का हिस्सा कहकर खुद को दुरुस्त कर सकते हैं। एवरेस्ट को नेपाल में सागरमाथा और तिब्बत में चोमोलुंगमा कहते हैं।