केजीएमयू समेत उनके बैचमेट ने दी अंतिम विदाई, डॉ. सुनील को शहीद का दर्जा देने की मांग
लखनऊ। उरई के डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल भैंसाकुंड स्थित विद्युत शव ग्रह में शवदाह हुआ। रविवार सुबह करीब 10.30 बजे डॉ. सुनील के अन्तिम संस्कार के दौरान केजीएमयू समेत अन्य संगठन के सदस्य मौजूद रहे। अंतिम विदाई में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का भी पालन हुआ। हांलाकि मौके पर उनके परिवार के केवल तीन लोग ही उपस्थित थे। जिनमें उनका पुत्र अनुराग अग्रवाल जो की स्वयं भी 2016 बैच का जार्जियन है। उनके साथ डॉ. सुनील के छोटे भाई और भतीजे शामिल हुए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की तरफ से उनके बैचमेट रहे डॉ. पीके गुप्ता, सीएमओ कार्यालय की तरफ से उनके बैचमेट एवं मित्र डॉ. केके सक्सेना, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसके रावत, नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन के डॉ. भूपेंद्र सिंह व डॉ. प्रभात, रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से डॉ. राहुल भारत, केजीएमयू में डॉ. सुनील का इलाज करने वाले मेडिसिन विभाग के डॉ. डी हिमांशु उपस्थित थे। सभी ने स्व. डॉ. सुनील की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। अंतिम विदाई में डॉक्टर की पत्नी, बेटी और बेटा का रो-रोकर बुरा हाल था।
साथी डाक्टरों की मांग, डाॅ. सुनील को मिले शहीद का दर्जा
डॉ. पीके गुप्ता ने कहा कि हम लोगों ने केजीएमयू में साथ में पढ़ाई की। उन्होंने कहा कि जिस संस्थान में पढ़ाई का लंबा वक्त साथ गुजारा। वहीं डॉ. सुनील ने अंतिम सांस ली। डॉ. सुनील की मृत्यु हम सभी के लिए किसी झटके से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि आईएमए की उरई शाखा ने सरकार से कोरोना योद्धा डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। मंगलवार को अस्थि कलश उनके गृह जनपद उरई पहुंचेगा। आईएमए ने प्रशासन से राजकीय सम्मान देने की मांग की है।
केजीएमयू में विशेष ड्यूटी के दौरान हो गए कोरोना संक्रमित
उरई निवासी डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल (58) सरकारी अस्पताल में बतौर एनस्थीसिया विशेषज्ञ तैनात थे। परिवार के सदस्यों ने बताया कि कोविड-19 में ड्यूटी लगाई गई थी। ट्रॉमा के इंचार्ज के रूप में तैनाती दी गई थी। 25 अप्रैल को डॉ. सुनील की तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें केजीएमयू में भर्ती कराया गया था। जांच में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी की दो डोज भी दी। वेंटिलेटर पर भर्ती डॉ. सुनील की तबीयत में सुधार हो रहा था।
शनिवार को उनकी कोरोना की दोनों बार की रिपोर्ट नेगेटिव भी आ गई थी। डायबिटीज पीडि़त डॉक्टर की पेशाब संबंधी संक्रमण हो गया था। गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था। डायलिसिस के बावजूद गुर्दे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। शनिवार शाम चार बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।