नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में गुरुवार को डिजिटल इंडिया की झलक देखने को मिली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सात देशों के राजदूतों का डिजिटल माध्यम से स्वागत किया और राजदूतों ने उनका अभिनंदन किया। ऐसा करने वाले वे पहले राष्ट्रपति बन गए। क्रेडेंशियल्स की प्रस्तुति के लिए विस्तृत समारोह को कम करना पड़ा, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण राष्ट्रपति कोविंद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं।
राष्ट्रपति भवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ऑनलाइन प्रेजेंटेशन देना जरूरी समझा गया, क्योंकि यह राजनयिक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था।”
इस दौरान डीपीआर कोरिया, सेनेगल, कोटे डी आइवर के राजदूत के साथ-साथ त्रिनिदाद और टोबैगो, मॉरिशस, ऑस्ट्रेलिया और रवांडा के उच्चायुक्त साउथ ब्लॉक आए। यहां वे एक के बाद एक बड़ी स्क्रीन के सामने खड़े हुए। स्क्रीन पर, राष्ट्रपति कोविंद उनका स्वागत करते हुए दिखाई दिए। आपको बता दें कि साउथ ब्लॉक और राष्ट्रपति भवन के बीच की दूरी भी महज 200 मीटर है। लेकिन प्रेसिडेंट कोविंद ने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही शामिल हुए।
इस दौरान विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप, सातों देशों के राजदूतों के साथ मौजूद रहे। ये विदेशी राजदूतों का पहला बैच था, जिन्होंने 25 मार्च के बाद से भारत में जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच क्रेडेंशियल्स की प्रस्तुति दी।
एक अधिकारी ने बताया, “राजदूतों ने अपने पत्रों को पढ़कर सुनाया और राष्ट्रपति ने उन्हें टीवी स्क्रीन पर स्वीकार कर लिया। उन्होंने प्रोटोकॉल के अनुसार सिर हिलाकर राष्ट्रपति का अभिनंदन किया। इस दौरान कुछ दूतों ने अपने देश की यात्रा करने के लिए अपने राज्य के प्रमुख की ओर से राष्ट्रपति को निमंत्रण भी दिया। राष्ट्रपति ने उन्हें स्वीकार किया और अंत में उन्होंने भारत में उनका स्वागत करते हुए एक छोटा भाषण दिया। इस दौरान प्रेसिडेंट कोविंद ने यह भी उल्लेख किया कि हमारा देश कोरोना के खिलाफ कैसे लड़ रहा है।’
प्रोटोकॉल की प्रस्तुति में सख्त नियमों और विस्तृत योजना शामिल है। सामान्य समय के दौरान, विदेश मंत्रालय के अधिकारी ये राजदूत राष्ट्रपति भवन के अधिकारी के साथ राष्ट्रपति भवन आते हैं। उन्हें कार में एक विशिष्ट सीट दी जाती है। इस दौरान प्रोटोकॉल अधिकारी भी उनके बगल में बैठा होता है। प्रत्येक राजनयिक मिशन समारोह के लिए एक विशिष्ट संख्या में लोगों को भेजा जाता है।