वाशिंगटन। अमेरिका ने बुधवार को चीन से कहा कि वह पाकिस्तान को दिए गए अनुचित और उत्पीड़क कर्ज के बोझ को कम करने के उपाय करे। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विदेश विभाग की कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने संवाददाताओं से कहा कि चाहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) हो या कोई दूसरी सहायता हो, अमेरिका हमेशा ऐसे निवेश का समर्थन करता है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार हो, पर्यावरण को बेहतर बनाता हो और जिससे क्षेत्रीय लोगों को फायदा होता हो।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ”मैंने सीपीईसी को लेकर अमेरिकी सरकार की चिंताओं का उल्लेख किया है, इस परियोजना में पारदर्शिता का अभाव है और चीनी संगठनों को अनुचित दर पर लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि कोविड-19 जैसे संकट के समय, जब दुनिया अर्थव्यवस्था के बंद होने के नतीजों के जूझ रही है, चीन के लिए यह जरूरी है कि वह इस उत्पीड़क, बोझिल और अनुचित कर्ज के बोझ को कम करने के लिए कदम उठाए। वेल्स ने कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि चीन या तो कर्ज माफ करेगा या उसका पुनर्गठन करेगा।
भारत को बाजार के अनुकूल नजरिया अपनाना होगा
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विदेश विभाग की कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने कहा कि अमेरिका व्यापार समझौता चाहता है, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना चाहेंगी और ये वास्तव में भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिसका बाजार के अनुकूल नजरिए के साथ फायदा उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका कारोबारी माहौल में सुधार के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है।
उन्होंने वाशिंगटन स्थित एक थिंकटैंक से कहा, ”मैं कहना चाहती हूं कि हम व्यापार समझौते करते हैं… हमने देखा है कि भारत इन समझौतों को अभी तक नहीं कर पाया है। ये मुद्दा सिर्फ अमेरिका के साथ नहीं है। भारत इस मुद्दे का सामना यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, अन्य देशों के साथ भी कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि कंपनियां चीन के जोखिमों को कम करना चाहती हैं और इसलिए वास्तविक अर्थों में विविधीकरण का अवसर है।
अवसरों का फायदा उठा सकता है भारत
वेल्स कहा कि भारत सही नीतियां बनाकर और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाकर इन अवसरों का फायदा उठा सकता है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से अमेरिका भारत के साथ साझेदारी में इसे बढ़ावा देना चाहता है। अमेरिकी राजनयिक ने कहा, ”लेकिन कुछ मुश्किल मुद्दे हैं और मौजूदा प्रशासन उन पर प्रगति करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और अमेरिका, पिछले दो वर्षों से एक व्यापार सौदे पर बातचीत कर रहे हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल सितंबर में कहा था कि इस पर जल्द ही हस्ताक्षर होने की संभावना है। फरवरी में उनकी भारत यात्रा के दौरान इस समझौते की उम्मीद की जा रही थी, हालांकि दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद बने हुए हैं।