नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को सभी तरह के लोन की मोरेटोरियम अवधि तीन माह बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 कर दिया। इस फैसले से कार-होम लोन सहित सभी लोन की ईएमआई चुकाने से तीन माह की राहत मिल गई है। इसमें क्रेडिट कार्ड बकाया बिल भी शामिल है। हालांकि, वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि क्रेडिट कार्ड बिल का बकाया पर तीन माह का मोरेटोरियम घाटे का सौदा है। बैंक क्रेडिट कार्ड के बकाया पर 48% तक की दर से ब्याज वसूलते हैं। ऐसे में कार्ड धारकों के लिए मोरेटोरियम नहीं लेना या न्यूनतम भुगतान का विकल्प चुनना फायदे का सौदा हो सकता है।
मोरेटोरियम का लाभ लेना पड़ेगा भारी
विशेषज्ञों का कहना है कि रिजर्व बैंक ने जिस राहत का ऐलान किया है उसके दायरे में मूलधन का भुगतान आता है। मुमकिन है कि बैंक रिपेमेंट पीरियड में उपभोक्ता से चक्रवृद्धि ब्याज लें। ऐसा होने पर मोराटोरियम पीरियड खत्म होने के बाद खासतौर पर क्रेडिट कार्ड कस्टमर्स पर भारी भुगतान करना होगा। एक अनुमान के मुताबिक, अगर किसी क्रेडिट कार्ड कस्टमर पर बैंक का 40 हजार रुपया बकाया मार्च में था और वह 31 अगस्त, 2020 तक मोरेटोरियम का लाभ लेता है तो उसे करीब 48,000 रुपये चुकाने होंगे। इसमें बकाया पर ब्याज और जीएसटी शुल्क शामिल होगा।
वित्तीय स्थिति भी बिगड़ने की आशंका
क्रेडिट कार्ड के बकाया पर लगभग 24 फीसदी से 48 फीसदी सालाना की दर से ब्याज लगता है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि, मोरेटोरियम में आपको छह महीने की ईएमआई से राहत मिलती है लेकिन बकाया पर बैंक 48 फीसदी की दर से ब्याज वसूल सकते हैं। ऐसे में आप जब 31 अगस्त, 2020 के बाद बकाया भुगतान करने जाएंगे तो आप पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ जाएगा। इसके साथ ही अगर आप छह महीने मोरेटोरियम के दौरान कोई भी खरीदारी करेंगे तो बैंक आपसे पहले दिन से ब्याज वसूलने लगेंगे।