नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के दौरान अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा डिब्बा बंद दूध और कृत्रिम आहार के वितरण पर रोक लगा दी गयी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सुझाव पर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किए हैं। निदेशक शत्रुघ्न सिंह ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस सम्बन्ध में आदेश जारी किया ह।
पत्र के हवाले से जन्म के तुरंत बाद, 6 माह तक केवल स्तनपान और 2 साल तक मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि डिब्बा बंद दूध के प्रयोग से हम धीरे- धीरे कृत्रिम दूध और आसानी से उपलब्ध विकल्पों का सहारा ले लेते हैं। जिससे शिशु मां के दूध से वंचित रह जाते हैं। कृत्रिम शिशु आहार स्तनपान तथा ऊपरी आहार का स्थान ले लेता है और बच्चों को कुपोषण के चक्र में डाल देता है। इसके साथ मां में भी आत्मविश्वास की कमी आ जाती है।
पत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बताया गया है कि स्तनपान मोटापा एवं बाद में होने वाले उच्च रक्तचाप व दिल सम्बन्धी रोगों को भी अपेक्षाकृत कम करता है। ऐसे में 6 माह से पहले शिशु को डिब्बा बंद दूध या 6 माह बाद डिब्बा बंद आहार बच्चों में मृत्यु का खतरा बढ़ा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा यह सलाह दी गयी है कोविड के दौरान मां यदि स्तनपान कराने में सक्षम नहीं है तो दूध को कटोरी में निकालकर कटोरी चम्मच से पिला सकती है। यदि मां इतनी ज्यादा बीमार है कि दूध निकालकर भी नहीं दे सकती तो स्तनपान कराने के लिए दूसरी महिला से सहयोग ले सकती है। प्रत्येक दशा में मुंह में मास्क लगाते हुए तथा हाथों को साफ़ रखना है।