नई दिल्ली। रेलवे ने शनिवार को ट्रेनों की आवाजाही को लेकर स्थिति साफ की। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा कि एक मई से शुरू की गईं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अब तक 45 लाख प्रवासी मजदूर सफर कर चुके हैं। इनमें 80% ट्रेनें यूपी-बिहार के लिए थीं। रेलवे अगले 10 दिन में 2600 ट्रेनें चलाएगा।
45 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने 10 अहम सवालों के जवाब दिए। इनमें से 5 सवाल आने वाले दिनों में चलाई जाने वाली ट्रेनों के बारे में थे। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पिछले चार दिनों में औसतन 260 ‘श्रमिक विशेष ट्रेनें’ प्रतिदिन चलाई गई और रोजाना तीन लाख यात्रियों को गंतव्य स्थल पर पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि अब तक करीब 2600 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें विभिन्न राज्यों में चलाई गईं और 26 लाख से ज्यादा यात्रियों को उनके घर पहुंचाया गया है। इनमें से 80 फीसदी ट्रेनें यूपी और बिहार के लिए चली हैं।
विनोद यादव ने कहा कि 1 मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू की गईं। सभी यात्रियों को मुफ्त भोजन और पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। ट्रेनों और स्टेशनों में स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पालन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे के 17 अस्पतालों को कोविड-19 मरीज देखभाल अस्पताल में तब्दील किया गया है। एक मई से 2,600 श्रमिक विशेष ट्रेनों ने अपनी यात्रा पूरी की है और 35 लाख से अधिक यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि अगले 10 दिनों में 2,600 ट्रेनों के शेड्यूल तय किए गए हैं। इनमें स्पेशल श्रमिक ट्रेनों से 36 लाख प्रवासी यात्रा करेंगे। रेलवे ने राज्यों को अपनी जरूरतें बताने को कहा है। उन्होंने कहा कि सामान्य स्थिति की बहाली की दिशा में रेलवे मंत्रालय की तरफ से 1 जून से 200 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी। विनोद यादव ने कहा, “हमने 5 हजार कोच को कविड-19 केयर सेंटर्स के तौर पर तब्दील किया, जिनमें 80 हजार बेड थे। इनमें से करीब 50 प्रतिशत कोच का इस्तेमाल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए किया है। अगर जरूरत पड़ी तो उसे फिर से कोविड-19 केयर के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।”