कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानुपर में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सफर कर रहे चार प्रवासी कामगारों का अंतिम सफर बन गया। अपनों की बीच जिंदा पहुंचने की टीस उनके मन में दबी रह गई। सफर के दौरान दो महिलाओं समेत चार प्रवासी कामगारों ने दम तोड़ दिया। नागालैंड की 23 वर्षीय युवती चचेरे भाई और सहेली के साथ सफर कर रही थी। उसे अचानक खांसी के साथ खून की उल्टियां शुरू हुई और कुछ की देर में उसने दम तोड़ दिया। मृतका नैंची के शव को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर उतारा गया। मृतका समेत उसके भाई व सहेली की कोरोना जांच कराई गई । रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद सरकारी खर्चे पर शव के साथ नागालैंड भेज दिया गया।
मृतका नैंची शिमला में अपनी सहेली के साथ एक स्पा सेंटर में काम करती थी। वहीं मृतका का भाई एक कॉल सेंटर में जॉब करता था। बीते 18 मार्च को नैंची अपने भाई के साथ सहेली की बहन के घर गुरूग्राम गए थे। लॉकडाउन लगने की वजह से तीनों गुरुग्राम में फंस गए थे। तीनों वहां से दीमापुर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन से जा रहे थे।
मुंबई से बिहार जाने वाली ट्रेन में सफर कर रही 80 वर्षीय लालमुनिदेवी ने भी दम तोड़ दिया। बुजुर्ग महिला अपने नाती के साथ सफर कर रही थीं। जानकारी के मुताबिक महिला की कोरोना जांच निगेटिव आई है। जनपद उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र के डिहवा ज्वालापुर गांव के रहने वाले राजेंद्र प्रसाद की मौत हो गई है। राजेंद्र प्रसाद आंध्र प्रदेश से उन्नाव जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे थे।
चौथी मौत जौनपुर जिले के शाहपुर बरसठी निवासी विजयनाथ प्रजापति की मौत हो गई। विजयनाथ अपने भाई के साथ सफर कर रहे थे। मुबई से सिद्धार्थनगर जा रही स्पेशल श्रमिक ट्रेन में सफर कर रहे थे। विजयनाथ की झांसी से पहले मौत हो गई। देर रात जब ट्रेन कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर शव को उतार कर मार्चुरी मे रखवाया गया है। मृतक शुगर के पेसेंट थे।