नोएडा। उत्तर प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। अस्पताल कोरोना के डर से मरीजों को हाथ भी नहीं लगा रहे हैं। खासतौर से यदि मरीज हॉटस्पॉट से जुड़ा हो तो फिर तो इलाज मिलना संभव ही नहीं है। ऐसा ही एक वाक्या नोएडा में सामने आया है। यहां इलाज के लिए दर-दर भटक रही 8 महीने की गर्भवती महिला को कोरोना के लक्षण होने की वजह से किसी अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती नहीं किया। 13 घंटों तक गर्भवती महिला ऑटो से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक दौड़ती रही। आखिरकार इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया। उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। डीएम सुहास एल वाई ने जांच के आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी निवासी नीलम कुमारी 8 महीने की गर्भवती थी। प्रसव दर्द होने के बाद उसे शुक्रवार सुबह 6 बजे ऑटो से एक अस्पताल ले जाया गया। नीलम के पति बृजेंद्र एक मीडिया फर्म के मेंटिनेंस डिपार्टमेंट में काम करते हैं। उनके भाई शैलेंद्र कुमार ऑटो ड्राइवर हैं। शैलेंद्र और उनकी पत्नी सुषमा अपने ऑटो से नीलम को लेकर नोएडा के सेक्टर 24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल लेकर गए।
नीलम एक वायर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में काम करती थीं, उनके पास ईएसआई कार्ड भी था। उनके जेठ शैलैंद्र ने बताया कि ‘ईएसआई अस्पताल ने उसे कुछ समय के लिए ऑक्सिजन लगाई और फिर उसे सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल में रिफर कर दिया। लेकिन, वहां के स्टाफ ने उसे भर्ती नहीं किया। स्टाफ ने कहा कि आप लोग खोड़ा से आए हो। यह इलाका कंटेनमेंट जोन है, इसलिए वहीं और जाकर इलाज कराना चाहिए।