वॉशिंगटन। अमेरिका में महामारी के कारण बेरोजगारी दर अचानक बढ़ गई है। इसका असर कम करने और अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां बचाने के लिए ट्रम्प प्रशासन एच-1बी वीजा सहित कई रोजगार वीजा को निलंबित यानी सस्पेंड करने पर विचार कर रहा है। अगर ये वीजा सस्पेंड किए गए तो भारत के आईटी प्रोफेशनल्स पर इसका काफी असर पड़ेगा।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक, वीजा का निलंबन एक अक्टूबर से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में बढ़ाया जा सकता है। निलंबन के दौरान अमेरिका के बाहर से कोई भी एच-1बी वीजा लेकर काम करने नहीं आ सकेगा।हालांकि, पहले से ही रहने वाले वीजा धारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता होगन गिडली ने कहा- अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। प्रशासन कई तरह के प्रस्तावों पर विचार कर रहा है।
एच-2बी वीजा को छोड़कर अन्य सभी वीजा के सस्पेंड होने का असर भारतीयों पर पड़ेगा। एच-2बी वीजा खासतौर पर मैक्सिको के प्रवासी मजदूरों के काम आता है। अमेरिका में हर साल 10 लाख कर्मचारी दूसरे देशों से आते हैं। अमेरिकी सांसदों ने कहा कि बेरोजगारी की दर इतनी ज्यादा है कि इन कर्मचारियों को वीजा देने का कोई कारण नहीं है।
क्या है एच-1बी वीजा?
एच-1 बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों के टेक्निकल एक्सपर्ट्स नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं। नियम के अनुसार, अगर किसी एच-1बी वीजाधारक की कंपनी ने उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर लिया है, तो वीजा स्टेटस बनाए रखने के लिए उसे 60 दिनों में नई कंपनी में जॉब तलाशना होगा। भारतीय आईटी वर्कर्स इस 60 दिन की अवधि को बढ़ाकर 180 दिन करने की मांग कर रहे हैं। यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) के मुताबिक, एच-1बी वीजा से सबसे ज्यादा फायदा भारतीय नागरिकों को ही होता है।