पुरी। रथयात्रा का पहला दौर पूरा होने को है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए हैं। मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग में रखा गया है। इसके बाद अगले 7 दिन भगवान यहीं रहेंगे। रथ उत्सव यहीं मनाया जाएगा। 1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ फिर इन्हीं रथों में बैठकर मुख्य मंदिर पहुंचेंगे। इसे बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
जगन्नाथ पुरी में दोपहर 1.50 बजे भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष खींचा गया। इसके पहले 12.10 बजे पहला रथ तालध्वज खींचा गया। भगवान जगन्नाथ के भाई बलभद्र का काले घोड़ों से जुता रथ तालध्वज मंदिर के सेवकों ने खींचना शुरू किया। ग्रांड रोड़ पर सबसे आगे यही रथ है। इसके बाद करीब 12.50 पर देवदलन रथ खींचा गया। ये सुभद्रा देवी का रथ है।
इससे पहले सुबह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा देवी को गर्भगृह से लाकर रथों में विराजित कर दिया गया। पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और गजपति महाराज दिब्यसिंह देब भी पूजन करने पहुंचे। पूजन के बाद पुरी के गजपति महाराज ने सोने की झाडू से भगवान जगन्नाथ का रथ बुहारा।
उड़ीसा के कानून मंत्री ने बताया कि मंदिर के सभी सेवकों का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से एक सेवक कोरोना पॉजिटिव निकला। उसे रथयात्रा से दूर रखा गया है। रथयात्रा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही निकाली जा रही है।
2500 साल से ज्यादा पुराने रथयात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका होगा, जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी, लेकिन भक्त घरों में कैद रहेंगे। कोरोना महामारी के चलते पुरी शहर को टोटल लॉकडाउन करके रथयात्रा को मंदिर के 1172 सेवक गुंडिचा मंदिर तक ले जाएंगे।