वॉशिंगटन. प्रशांत महासागर का एक छोटा सा देश किरबाती फिर चर्चा में है। दुनिया के ज्यादातर देश जब महामारी के सबसे खराब दौर से गुजर रहे थे, तब चीन ने यहां अपनी एम्बेसी शुरू की। किरबाती के राष्ट्रपति टेनेटी ममाउ को बीजिंग समर्थक माना जाता है। वे हाल ही में दूसरी बार चुनाव जीते हैं। आर्थिक तौर पर ऑस्ट्रेलिया अब तक किरबाती को सबसे ज्यादा मदद देता आया है। लेकिन, चीन प्रशांत महासागर में ताकत बढ़ाना चाहता है और उसके लिए यह देश अहम हो जाता है।
तीन देशों की एम्बेसी है यहां
चीन से काफी पहले यहां ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और क्यूबा एम्बेसी शुरू कर चुके हैं। यह देश 33 द्वीपों से मिलकर बना है। पहले यह ताईवान के काफी करीब माना जाता था, लेकिन अब चीन यहां तेजी से पैर पसार रहा है। इसी हफ्ते ममाऊ यहां दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए।
किरबाती दुनिया के लिए क्यों अहम?
चीन किरबाती के जरिए कई मकसद पूरे करना चाहता है। बीजिंग इतनी जल्दबाजी में था कि उसने दुनिया के महामारी से उबरने या वैक्सीन आने का इंतजार भी नहीं किया और एम्बेसी शुरू कर दी। चीन की चाल को तीन बातों से समझा जा सकता है।
- एशिया और अमेरिका का रास्ता : किरबाती प्रशांत महासागर के उस हिस्से में स्थित है, जहां से एशिया और अमेरिका जुड़ते हैं। यानी ट्रेड के लिहाज से यह काफी अहम है।
- मिलिट्री: प्रशांत महासागर में अब तक अमेरिका का दबदबा रहा है। चीन इसे अब चुनौती देना चाहता है। आज नहीं तो कल, चीन यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहेगा।
- ऑस्ट्रेलिया को चुनौती : किरबाती हमेशा से ऑस्ट्रेलिया का करीबी रहा। 2011 से 2017 के बीच ऑस्ट्रेलिया ने इस देश को 6.25 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी। लेकिन, चीन अब यहां ताकतवर बनता जा रहा है। दोनों देशों में जारी तनाव की यह भी बड़ी वजह है।
14 साल से कोशिश में चीन
चीन की काफी पहले से किरबाती पर नजर है। 2006 में चीन के तब के राष्ट्रपति वेन जियाबाओ यहां आए थे। इस देश को आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था। किरबाती की जीडीपी सिर्फ 33.77 बिलियन डॉलर है। महामारी के दौर में चीन ने इस देश को काफी मदद की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यहां के मेडिकल स्टाफ को ट्रेंड किया। दूसरे मेडिकल इक्युपमेंट्स भी भेजे। यहां 312 मामले सामने आए। 7 लोगों की मौत हो चुकी है।
अब ऑस्ट्रेलिया भी जवाब देने की तैयारी में
ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन की चाल को नाकाम करने की तैयारी कर ली है। दो बड़ी घोषणाएं कीं। पहली- किरबाती और इस क्षेत्र के बाकी 10 देशों को 6.9 करोड़ डॉलर की मदद फौरन दी जाएगी। दूसरी- ऑस्ट्रेलिया के दो मशहूर टीवी शो शुरू किए जाएंगे। दूसरी घोषणा के खास मायने हैं। क्योंकि, भाषाई तौर पर ऑस्ट्रेलिया यहां काफी असर रखता है। इन शोज के जरिए वो लोगों तक ज्यादा पहुंच बना पाएगा। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से चीन काफी परेशान भी है।