खुशियों और रोशनी से भरा त्योहार है दीपावली। यह समय है परिवार और दोस्तों के साथ लजीज पकवानों का आनंद उठाने और परंपराओं से जुड़ने का। इस दिवाली खाएं-खिलाएं और मस्त रहें। कैसे मनाएं सेहतमंद दिवाली, बता रही हैं राजलक्ष्मी त्रिपाठी
दिवाली ऐसा त्योहार है, जिसका इंतजार साल भर रहता है। इस मौके पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ त्योहार की मस्ती में डूब जाते हैं। उपहारों की खरीदारी, घर की साफ-सफाई और इस दिन कौन से पकवान बनाये जाने हैं, इन सबकी सूची कई दिन पहले से बनने लगती है। आपने भी दीपावली की तैयारी शुरू कर दी होगी। इस मौके का भरपूर आनन्द कैसे लें, आइए जानते हैं।
मस्ती के साथ सेहत का रखें ख्याल
त्योहार की तैयारी में अपने परिवार के सभी सदस्यों को शामिल करें, ताकि उनके साथ यादगार पल बिता सकें। त्योहार अपनी जड़ों से जुड़ने और अपनों के साथ वक्त बिताने का मौका देते हैं। जाहिर है, इस मौके पर आप दोस्तों-रिश्तेदारों से मिलने-जुलने भी जाते हैं। ऐसे में कई बार न चाहते हुए भी तली-भुनी चीजें या मीठे व्यंजन खाने पड़ते हैं, जिसकी वजह से न सिर्फ दीपावली के बाद लोगों का वजन बढ़ता है बल्कि सेहत संबंधी कई समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। इसलिए कोशिश करें कि खानपान पौष्टिक और हलका रखें। इस मौके पर बाहर जाते हुए साथ में ड्राई स्नैक्स और पानी अवश्य रखें ताकि ट्रैफिक में फंसने या कहीं देर होने पर खाली पेट न रहें। पिछले कुछ वर्षों से दीपावली पर महानगरों में प्रदूषण की समस्या बहुत बढ़ने लगी है। दिवाली पर चलाए जाने वाले पटाखों के कारण वातावरण में धुआं भर जाता है। ऐसे में सांस या अस्थमा से ग्रस्त लोगों के अलावा बूढ़ों, बच्चों और पालतू जानवरों की सेहत बिगड़ सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए बाहर निकलते हुए मास्क लगाएं और साथ में हमेशा इनहेलर रखें। अस्थमा के रोगियों को इस मौसम में हमेशा मास्क लगाना चाहिए। कोशिश करें कि घर से बाहर कम निकलना पड़े। घर में ही व्यायाम और योग करें। घर के भीतर भी धूल-धुएं से परहेज रखें। अपने घर में एरिना पाम, पुदीना, तुलसी, स्नेक प्लांट जैसे पौधे अवश्य रखें, ताकि घर के भीतर का वातावरण शुद्घ रह सके।
रंगोली के लिए फूलों का इस्तेमाल करें
दिवाली के अवसर पर आम घरों में रंगोली बनाने की परंपरा है। लेकिन इनके लिए कैमिकलयुक्त रंगों का प्रयोग किया जाता है, जो एलर्जी का कारण बन सकता है। इसलिए रंगोली बनाने के लिए घर में उपलब्ध चीजों जैसे- आटा, चावल, हल्दी आदि का प्रयोग करें और साथ में फूल और पत्तियों का इस्तेमाल करें। रंगोली को खूबसूरत बनाने के लिए अलग-अलग रंगों की दालें पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसे इस्तेमाल करें। बच्चों द्वारा कलरिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों का प्रयोग भी कर सकते हैं। रंगोली बनाने का काम घर के बच्चों-टीनएजर्स को सौंपें, इससे वे त्योहार में शामिल होंगे और परंपराओं से भी जुड़ सकेंगे। इससे त्योहार का आनंद भी दुगना हो जाएगा।
लजीज पकवानों का लें मजा
दिवाली के दौरान बाजार और रिश्तेदारों के घर आने-जाने और सफाई में व्यस्तता के कारण लोग खानपान का ध्यान नहीं रख पाते और भूख लगने पर तली-भुनी और मसालेदार चीजें खा लेते हैं। बाहर की मिठाइयों या खाद्य पदार्थों से गला और पेट खराब होने का अंदेशा रहता है। दीपावली की व्यस्तता में पौष्टिक खाने की आवश्यकता होती है ताकि काम करने की ऊर्जा बनी रहे। ऐसे में घर में बने पकवानों का आनंद लें लेकिन थोड़ी सावधानी भी बरतें। जैसे- छोले भटूरे, पूड़ी, पकौड़ी, हलवा, खीर आदि बनाने के लिए रिफाइंड ऑयल के बजाय सरसों या ऑलिव ऑयल इस्तेमाल करें।
’कोशिश करें कि एक समय के भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों, चपाती, चावल और दालों का इस्तेमाल करें, ताकि तैलीय और मसालेदार भोजन से बचे रहें।
’सुबह का नाश्ता न भूलें। इसमें अंकुरित अनाज, दही, दलिया, रोटी-सब्जी, हरी सब्जियों और फलों का सलाद जैसी चीजें शामिल करें, ताकि पूरे दिन काम करने की ऊर्जा मिल सके और भारी न महसूस हो। भारी खाना दोपहर के वक्त ही करें, डिनर को हलका ही रखना बेहतर होगा।
’घर में व्यंजन बनाते हुए इन्हें सुंदर दिखाने के लिए आर्टिफिशियल कलर्स या सॉस आदि का इस्तेमाल करने से बचें। खाने में अधिक बटर या क्रीम का प्रयोग करने से बचें।
’चूंकि घर का खाना त्योहार पर तैलीय अधिक होता है, ऐसे में बाहर के खाने से परहेज करें। मीठे व्यंजनों में चीनी के बजाय गुड़, शहद या मेपल सिरप का इस्तेेमाल करें।
’इस मौसम में बिना नमक मिले नट्स, सीड्स, खजूर, अंजीर, मौसमी फल जरूर खाएं। एक समय सलाद भी खाएं। इसके अलावा दिन भर नीबू पानी और नारियल पानी पीते रहें।
’हेल्दी रहना चाहते हैं तो मीठी चीजों, मैदे से बनी चीजों, प्रोसेस्ड फूड, सूप, डिब्बाबंद और पैकेज्ड जूस आदि का सेवन करने से परहेज करें।
सुरक्षित और सेहतमंद रहे दीप-पर्व
दिवाली की रोशनी सबको भाती है लेकिन यह रोशनी दीयों की हो, पटाखों की नहीं। पिछले कुछ वर्षों से दीपावली के बाद प्रदूषण जानलेवा हो रहा है, जिस कारण फेफड़ों और सांस से जुड़े रोग बढ़ रहे हैं। कई जगहों पर आग लगने जैसी घटनाएं भी होती हैं। इस खास मौके पर परिवार के साथ मस्ती करते हुए सबकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान रखें। ’दिवाली के दिन बच्चों को सिंथेटिक और ढीले कपड़े न पहनाएं। उन्हें सूती कपड़े पहनाने के साथ ही बंद चप्पल या जूते पहनाएं।
’बच्चे जहां पटाखे जलाएं, वहां आग बुझाने वाला यंत्र, पानी की बाल्टी, रेत या मिट्टी जरूर रखें ताकि दुर्घटना होने पर तुरंत काबू पाया जा सके। फोन पास में रखें, अगर कहीं आसपास आग लगने जैसी घटना हो तो फायर ब्रिगेड को फोन करें। ’सुनिश्चित करें कि घर के अंदर कोई पटाखे न जलाएं। ऐसे पटाखों का चयन करें, जो ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले और आवाज करने वाले न हों। बच्चों के लिए सीमित मात्रा में पटाखे लाएं। भीड़भाड़ वाली जगहों पर पटाखे न जलाएं।
’पटाखे जलाने के बाद अच्छी तरह डिस्कंपोज करें, बेहतर होगा कि फुलझड़ी, चरखी, अनार आदि जलाने के बाद पानी की बाल्टी में डाल दें।
’बिजली की लड़ियों का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि कोई तार खुला न हो, अन्यथा शॉर्ट सर्किट का खतरा हो सकता है। इन्हें बच्चों की पहुंच से दूर रखें। दीये और मोमबत्ती जलाते हुए भी सुरक्षा का ध्यान रखें।
’अपने साथ हमेशा फर्स्ट एड किट तैयार रखें, ताकि दुर्घटना होने पर तुरंत उपचार किया जा सके।
’बच्चों पर कड़ी नजर रखें। उन्हें अकेले बाहर न जाने दें और खतरनाक पटाखों से दूर रखें। यह भी सुनिश्चित करें कि वे किसी बड़े की देखरेख में ही पटाखे जलाएं, इसके अलावा उन्हें दीयों और मोमबत्ती की पहुंच से भी दूर रखें।
गंदगी का सफाया करें
जब आप दिवाली के लिए खरीदारी कर रहे हों, तो ऐसी चीजें खरीदें, जिनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सके। दिवाली के दौरान बहुत कचरा इकट्ठा हो जाता है, जिस कारण वातावरण प्रदूषित होने के साथ ही आसपास गंदगी का भंडार भी नजर आने लगता है। दिवाली वाले दिन मोमबत्ती के बजाय मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करें, इन्हें आप संभाल कर रख सकते हैं और किसी खास अवसर पर घर को सजाने के लिए दोबारा इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। घर के गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करें, ताकि उसे रिसाइकल किया जा सके। खाने वाली चीजों और सब्जी के छिलकों को डस्टबीन में डालने के बजाय गाय को खिलाएं। चाय की पत्ती छान कर उसका इस्तेमाल पौधों में खाद की तरह करें।
उपहार का अंदाज नया
दिवाली के अवसर पर करीबी लोगों को उपहार देने की परंपरा है। इस दिवाली अपनों को उपहार में कुछ ऐसी चीजें दें, जिन्हें वे याद रख सकें। अभी वातावरण में बहुत प्रदूषण है। इको-फ्रेंड्ली दिवाली मनाने के लिए इस बार आप चाहने वालों को मिठाई और पटाखों जैसी परंपरागत चीजें देने के बजाय उन्हें उपहार में ऐसा पौधा दें, जो वातावरण को शुद्घ करने वाला हो और वे इसे अपने घर के अंदर प्यार से सहेज भी सकें। इसके साथ उन्हें सूखे मेवे, चिया सीड्स, अलसी, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज आदि दें। चाहें तो साथ में मीठे के तौर पर शहद से बनी हेल्दी कुकीज भी दे सकते हैं। तीरथराम शाह हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉ. अनिल गोम्बर और डाइटीशियन कोमल ठाकुर से की गयी