भाई-बहनों के बीच प्रेम के प्रतीक के तौर पर मनाए जाने वाले इस पर्व में बहनें भाइयों की पूजा के बाद टीका लगाकर उनकी सुख समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है। पंडित चंडिका प्रसाद के अनुसार, भाई के तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:11 से 3:23 बजे तक रहेगा।
मान्यता के मुताबिक भैया दूज पर्व भगवान सूर्यदेव और छाया के पुत्र-पुत्री यमराज-यमुना से संबंधित है। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें।लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को हमेशा टाल देते थे। कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को अचानक खड़ा देखकर बेहद खुश गईं। प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर वह स्नेह से भोजन करवाया।
बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने बहन का कुछ भी वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे घर भोजन करने आएं और इस दिन जो बहन अपने भाई को पूजा के बाद टीका लगाकर भोजन कराए उसे आपका भय न रहे। मान्यता है कि जो भाई इस दिन श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय भी नहीं रहता।