लखनऊ। 3 अगस्त यानी आज रक्षाबंधन पर्व मनाया जा रहा है। सावन महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर ये त्योहार मनाया जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार, सबसे पहले देवराज इंद्र को उनकी पत्नी शचि ने राखी बांधी थी, जिससे इंद्र को युद्ध में जीत मिली। इसके अलावा वामन पुराण के अनुसार, राजा बलि को लक्ष्मीजी ने राखी बांधी थी। पहले रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के लिए ही नहीं था। वैदिक और पौराणिक काल में निरोगी रहने, उम्र बढ़ाने और बुरे समय से रक्षा के लिए योग्य ब्राह्मणों द्वारा अन्य लोगों को रक्षा सूत्र बांधा जाता था।
इस बार रक्षाबंधन पर सुबह 9.29 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के बाद ही बहनों को अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधना चाहिए। 3 तारीख को सुबह 7.30 बजे के बाद पूरे दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही पूर्णिमा भी रात में 9.30 तक रहेगी। इसलिए सुबह 9.29 के बाद पूरे दिन राखी बांध सकते हैं।
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि कोरोना के कारण अगर रक्षाबंधन के दिन बहन भाई को राखी न बांध सके तो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी तक रक्षाबंधन की परंपरा है। इन अगले आठ दिनों में किसी भी शुभ मुहूर्त में राखी बांधी जा सकती है। सिर्फ भद्रा और ग्रहण काल में ये शुभ काम नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही भविष्योत्तर पुराण में बताया गया है कि रक्षाबंधन पूरे साल में कभी भी किया जा सकता है।