जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में 14 हजार 700 फुट की ऊंचाई पर स्थित झील में पारंपरिक रीति रिवाज के बाद कैलाश यात्रा की छड़ी मुबारक यहां लाई गई। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। कोविड-19 महामारी के चलते इस साल कैलाश कुंड की वार्षिक यात्रा में कुछ पुजारी और श्रद्धालु ही शामिल हो सके।
पुजारियों का एक समूह 16 अगस्त को छड़ी मुबारक लेकर यहां गाथा स्थित प्राचीन वासुकि नाग मंदिर से कैलाश कुंड के लिए निकला। यात्रा में छह चारी भी शामिल हुए। अधिकारियों ने बताया कि हयन और रामतुण्ड में 16 और 17 अगस्त को रात्रि विश्राम करने के बाद 18 अगस्त को छड़ी मुबारक को कैलाश कुंड लाया गया जहां तीर्थयात्रियों ने झील में स्नान किया।
स्थानीय मान्यता के अनुसार कैलाश कुंड भगवान शव का मूल निवास था लेकिन उन्होंने इसे वासुकि नाग को दे दिया और वे स्वयं हिमाचल प्रदेश के भरमौर में स्थित मनमहेश में रहने चले गए। अधिकारी ने कहा कि कैलाश कुंड में अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद छड़ी मुबारक को मंगलवार देर रात वापस लाया गया और उसे भगवान वासुकि नाग के भक्तों ने ग्रहण किया।
उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने भी सुंगली गांव से गाथा स्थित वासुकि नाग मंदिर तक छड़ी मुबारक की यात्रा में भाग लिया। भदरवाह के सब डिविजनल पुलिस अधिकारी आदिल रिशु ने कहा कि सुरक्षा इंतजामों के बीच यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सभी मानक संचालन प्रक्रिया का पालन किया गया।