मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ राहत कार्यों को उच्च प्राथमिकता पर लेने का निर्देश दिया है। इसके लिए बजट की कोई भी कमी नहीं है। बाढ़ प्रभावित जिलों के डीएम को निर्देश दिए गए हैं कि बाढ़ पीड़ितों को समय से राहत प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तटबंध के निरंतर पेट्रोलिंग के साथ-साथ बांधों में कटान की स्थिति पर सतत निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर ने बुधवार को लोकभवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बाढ़ राहत शरणालयों में रहने वालों को ज्वर, खांसी, सिरदर्द आदि के लक्षण दिखाई देने पर उनकों शेष शरणार्थियों से अलग रखा जाए और कोविड-19 जांच, भर्ती, उपचार की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सभी तटबंध सुरक्षित हैं। कहीं भी किसी प्रकार की चिंताजनक स्थिति नहीं है। प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों में सर्च एवं रेस्क्यू के लिए 22 टीमें लगाई गई हैं।
उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट बांटा जा रहा है। अब तक 96,834 खाद्यान्न किट व 2,21,220 मीटर तिरपाल बांटा जा चुका है। उन्होंने बताया कि 290 मेडिकल टीमें लगाई गई हैं। बाढ़ से निपटने के लिए प्रदेश में 373 बाढ़ शरणालय और 784 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। प्रदेश के 16 जिलों के 777 गांवों बाढ़ से प्रभावित है। शारदा नदी, पलिया कला (लखीमपुरखीरी), सरयू (घाघरा) नदी, तुर्तीपार (बलिया), सरयू (घाघरा) नदी एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा सरयू (घाघरा) नदी (अयोध्या) में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है।