नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण पाने से आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के मुखिया आत्मविश्वास से लबरेज नजर आते हैं। उनका मानना है कि अब हालात धीरे-धीरे सुधरते जाएंगे। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भी उनकी सरकार प्रयासरत है।
घर-घर राशन योजना कब तक शुरू होगी, इसे लेकर सरकार की क्या योजना है?
इस योजना को लेकर दिल्ली सरकार पूरी तरह गंभीर है। यह एक जनवरी से लागू कर दी जाएगी, लोगों को राशन लेने दुकान तक नहीं जाना पड़ेगा, उन्हें उनके घर पर ही राशन मिलेगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। वहीं, आने वाले समय में लोगों का सरकारी सुविधाओं के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाना बिलकुल बंद हो जाएगा। सरकार जल्द ही विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए डोर स्टेप डिलिवरी के तहत खिड़की पर सेवाएं लेने का विकल्प बंद करने जा रही है। तब ये सेवाएं पूरी तरह से लोगों को उनके घर पर ही मिलने लगेंगी।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दलालों का बोलबाला समाप्त करने के लिए सरकारी सेवाओं में खिड़की का विकल्प बंद करने का कदम उठाया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाने पर एक-दो माह में लोगों को घर पर सेवा मिलनी शुरू हो जाएगी।
बता दें कि दिल्ली में लोगों को अगले साल से घर पर ही राशन मिलना शुरू हो जाएगा। अरविंद केजरीवाल सरकार एक जनवरी से घर-घर राशन योजना शुरू कर रही है। वहीं, डोर स्टेप डिलीवरी के तहत दी जाने वाली सेवाओं के लिए अब सरकारी कार्यालयों में खिड़की का विकल्प भी बंद कर दिया जाएगा। अब ये सभी सेवाएं लोगों को उनके घर पर ही उपलब्ध कराई जाएंगी। इस योजना के तहत दिल्लीवासी अपने घर पर 100 तरह की सेवाएं ले सकते हैं।
पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। कोरोना के कारण दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। इसे सुधारने के लिए हम कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थायी समाधान तभी निकल पाएगा, जब कोरोना का टीका आ जाएगा। अन्यथा लोग बहुत डरे हुए हैं, वे डरे न भी हों तो भी अभी बहुत समस्याएं हैं, जिनकी वजह से हालात सामान्य होने में समय लगेगा। पूरी बसें भरकर कैसे चलेंगी, मेट्रो कैसे चलेगी, बाजार पूरी तरह कैसे खुलेंगे। अभी साप्ताहिक बाजार खोलने की बात हुई तो उस पर बैठक में लंबी चर्चा हुई कि यदि साप्ताहिक बाजार खोलेंगे तो कोरोना बढ़ जाएगा। अभी फिलहाल इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। टीका नहीं आने की वजह से हम चुप भी नहीं बैठ सकते हैं। सरकार होने के नाते हम सभी कदम उठा रहे हैं और सभी क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार से भी पांच हजार करोड़ रुपये मांगे हैं। इसके अलावा जीएसटी क्षतिपूर्ति की धनराशि देने के लिए भी केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है।