कोरोना काल के पांच महीने में 300 से ज्यादा फैक्टरी बंद हो गई हैं। इनमें सबसे ज्यादा फैक्टरी रेडिमेड गारमेंट, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी हैं। यदि हालात जल्द नहीं संभले तो और भी फैक्टरी बंद हो सकती हैं। शहर में जो फैक्टरी चल रही हैं, उनमें 50 प्रतिशत क्षमता के साथ भी काम नहीं हो रहा है।
गौतमबुद्ध नगर में 18 हजार से अधिक फैक्टरी हैं। जिले में रेडिमेड गारमेंट की पांच हजार से अधिक फैक्टरी हैं। जिले की फैक्टरी में 12 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिलता है लेकिन इस समय यहां चार से पांच लाख श्रमिको को ही रोजगार मिल रहा है क्योंकि अभी तक अधिकांश इंडस्ट्री पूरी क्षमता के साथ नहीं चली हैं। ये 25 से 40 प्रतिशत क्षमता के साथ चल रही हैं। फैक्टरी में काम करने के लिए श्रमिक नहीं लौटे हैं। शॉपिंग मॉल और बाजारों के सही से न खुल पाने के कारण ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं।
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र नहाटा ने कहा कि 300 से अधिक फैक्टरी बंद हो चुकी हैं और अनेक बंदी के कगार पर हैं। रेडिमेड गारमेंटस, एम्ब्रोइडरी, पैकेजिंग, ऑटो पार्ट, एलईडी लाइट की इंडस्ट्री बंद हुई हैं। बाजार के हालात आने वाले समय में भी संभलते नहीं दिख रहे हैं। ऑर्डर न मिलने से स्थिति अभी पटरी पर लौटती नहीं दिख रही है और सरकार से भी मदद नहीं मिल रही है। सेक्टर-2 में श्याम सुंदर टंडन की बिल्डिंग में कोरियन कंपनी चलती थी। यह कंपनी भी अब यहां से चली गई है। उन्होंने बताया कि कोरिया के किम ने यह इंडस्ट्री लगायी थी, जो पांच साल से चल रही थी। यहां पर मोबाइल की एसेसिरीज बनती थीं लेकिन अब काम न होने की बात कहते हुए वह फैक्टरी बंद कर चले गए। उन्हीं के यहां पर टॉपर के नाम से एक और सेंटर था, वह भी बंद हो गया है।
आईआईए के अध्यक्ष कुलमणि गुप्ता ने कहा कि कोरोना के कारण इंडस्ट्री खतरे में हैं, अनेक इंडस्ट्री जहां बंद हो गई हैं। 40 प्रतिशत इंडस्ट्री बंदी के कगार पर पहुंच गई हैं। जो इंडस्ट्री चल रही हैं, वह भी संकट में हैं, उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। बाजार में ऑर्डर नहीं आ रहे हैं। त्यौहारी सीजन भी शुरू होने वाला है। लेकिन उसकी कोई आहट अभी तक बाजार में नहीं है।