दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग के दमघोंटू माहौल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल-2019 की रिपोर्ट में सांस से जुड़ी बीमारियों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में सांस की बीमारी से मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 2018 में एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (तीव्र श्वसन संक्रमण) से 3,740 मरीजों की मौत हुई। इनमें पश्चिम बंगाल के 732, यूपी के 699, दिल्ली के 492, उत्तराखंड के 86, हिमाचल के 145, हरियाणा के आठ और पंजाब के 24 लोगों की जान सांस संबंधी बीमारी से गई है। देश में 4.19 करोड़ लोग सांस की बीमारियों की चपेट में हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य बुद्धिमत्ता ब्यूरो (सीबीएचआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में सबसे ज्यादा 69.47 फीसदी मरीज सांस से जुड़ी बीमारियों के मिले। डायरिया के 21.83, टाइफाइड के 3.82, टीबी के 1.76, मलेरिया के 0.66 और निमोनिया के 1.54 फीसदी मरीज मिले। इस दौरान 57.86 फीसदी मरीजों की मौत निमोनिया और सांस की बीमारियों से हुई। दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक सांस से जुड़े रोगों में सीओपीडी (काला दमा) सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है। दिल्ली एम्स में सालाना इसके दो से तीन लाख मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक वायु प्रदूषण सांस के रोगियों के लिए जहर जैसा है।
6 करोड़ से अधिक लोग गैर संचारी रोगों से पीड़ित
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में 6.51 करोड़ लोग गैर संचारी रोगों से पीड़ित पाए गए। इनमें से 4.45 फीसदी को मधुमेह, 6.19 फीसदी को हाई बीपी, 0.30 फीसदी लोग दिल की बीमारी, 0.26 प्रतिशत कैंसर और 0.10 फीसदी स्ट्रोक के मरीज मिले।
डेंगू और चिकनगुनिया बड़ी चिंता
एडीज मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू और चिकनगुनिया सबसे बड़ी चिंता की वजह है। हालांकि, देश में चिकनगुनिया के मामलों में 2017 के 67,769 मामलों से 2018 में मामूली कमी (57,813) देखी गई।