सरदार पटेल की 144वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में स्थित स्टैचू ऑफ यूनिटी पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में भी मनाया जा रहा है। ठीक एक साल पहले आज ही के दिन सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया था। यह प्रतिमा कई मायनों में खास है। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है और भूकंप-तूफान भी नहीं हिला सकते। अमेरिका के सैटेलाइट नेटवर्क ने इस प्रतिमा की अंतरिक्ष से ली गई एक तस्वीर ट्वीट की थी।
भूकंप, तूफान से बेअसर
- यह प्रतिमा 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं को भी झेल सकती है
- यही नहीं यह स्टैच्यू 6.5 रिक्टर के भूकंप को भी आसानी से झेल सकता है
- मूर्ति के निर्माण में 70,000 टन सीमेंट, 18,500 टन मजबूत लोहा, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसे का प्रयोग किया गया है।
किसानों ने लोहा दान में दिया
- मूर्ति के लिए 1.69 गांवों के किसानों ने लोहे का दान दिया
- प्रतिमा के लिए 135 मीट्रिक टन लोहे का दान मिला, जो इसमें इस्तेमाल हुआ
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने मे चार धातुओं तांबे, जिंक, लेड और टीन का प्रयोग किया गया है।
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सबसे ऊंची प्रतिमा :
- इसकी ऊंचाई 182 मीटर (597 फुट) है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है
- इसके बाद चीन का स्प्रिंग बुद्ध मंदिर (153 मीटर) का नंबर आता है
- की उशिकु दायबुत्सु (120 मीटर) तीसरे और अमेरिका की स्टैचू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का चौथा नंबर है।
- प्रतिमा के भीतर 135 मीटर की ऊंचाई पर गैलरी बनाई गयी है, जिससे पर्यटक बांध और पास की पर्वत शृंखला का दीदार हो पाता है
- प्रतिमा को बनाने के लिए करीब 2979 करोड़ रुपये खर्च हुए