सुप्रीम कोर्ट (SC) कोविड19 महामारी के बीच लोन मोरेटोरियम अवधि खत्म होने और आगे ब्याज दरों को माफ करने की याचिकाओं पर आज सुनवाई कर रहा है। कल केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय को कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच ऋण की किस्तों के भुगतान पर रोक को दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
वरिष्ठ वकील राजीब दत्ता ने अपने क्लाइंट की तरफ से तर्क देते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर जनता मुश्किल समय को झेल रही है और ये योजना सभी के लिए दोहरी मार है। याचिकाकर्ताओं के वकील राजीब दत्ता ने कहा कि ब्याज पर ब्याज गलत है और बैंक इसे चार्ज नहीं कर सकते। CREDAI की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर्यमन सुंदरम ने कहा कि लंबे समय तक उधारकर्ताओं पर ब्याज वसूलना अनुचित है और इससे एनपीए बढ़ सकता है।
उच्चतम न्यायालय महामारी के बीच रोक की अवधि के दौरान ब्याज दरों को माफ करने की याचिकाओं पर आज सुनवाई कर रहा है। कर्ज की किस्त (ईएमआई) भुगतान में स्थगन यानी मोरेटोरियम की सुविधा 31 अगस्त को खत्म हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई लोन मोरेटोरियम को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं था। जहां सुप्रीम कोर्ट में मोरेटोरियम योजना को दिसंबर तक बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है वहीं, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा समेत कई बैंक इसे बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं हैं।
मोरेटोरियम योजना को दिसंबर तक बढ़ाने की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक की मोरेटोरियम योजना को दिसंबर तक बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट एक सितंबर को सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा था और कहा था कि लॉकडाउन आपने लगाया है तो आरबीआई के नाम पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी है कि कोरोना संकट में जिन कठिन आर्थिक हालातों को देखते हुए मोरेटोरियम सुविधा दी गई थी वह अभी समाप्त नहीं हुई है, ऐसे में मोरोटोरियम की सुविधा को इस साल दिसंबर तक बढ़ाया जाना चाहिए।