रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से प्रभावित 26 क्षेत्रों को कर्ज पुनर्गठन योजना का लाभ दिया जाएगा। आरबीआई ने सोमवार को योजना पर केवी कामत की सिफारिशों को मंजूरी देते हुए कहा कि पांच मानकों पर कर्ज पुनर्गठन योजना लागू होगी और महामारी से प्रभावित उद्योग क्षेत्रों की वित्तीय समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
आरबीआई ने 7 अगस्त को कर्ज पुनर्गठन योजना पर सुझाव के लिए पूर्व बैंकर केवी कामत की अगुवाई में समिति का गठन किया था। समिति ने 4 सितंबर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसके आधार पर योजना में शामिल किए जाने वाले उद्योग क्षेत्रों के लिए पांच मानक बनाए गए हैं। केंद्रीय बैंक ने रिपोर्ट के अधिकतर सुझावों को मंजूर कर लिया है और 26 क्षेत्रों में कर्ज पुनर्गठन योजना लागू करने की अनुमति दे दी है।
हालांकि, सुविधा का लाभ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा जिनका कोविड-19 पूर्व खाता संचालन बेहतर था। इसमें परिचालन और वित्तीय प्रदर्शन दोनों शामिल होंगे। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि उनके भुगतान और नकदी पर संकट महामारी के बाद ही आया है। कर्जदाता योजना लागू करते समय इस बात का ध्यान रखेंगे कि मौजूदा चुनौतियों से कौन-कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
ये मानक बनेंगे आधार
कुल देनदारी/समायोजित मूल नेटवर्थ
कुल कर्ज/ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन (ईबीआईटीडीए) से पहले की आय
मौजूदा संपत्ति/मौजूदा देनदारी
ऋण सेवा कवरेज अनुपात (कर्ज भुगतान को मौजूदा नकदी)
औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात
इन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ
आरबीआई ने जिन 26 क्षेत्रों को योजना में शामिल करने की अनुमति दी है, उनमें ऑटोमोबाइल, ऊर्जा, ऑटो उपकरण, विमानन, पर्यटन, सीमेंट, रसायन, रत्न एवं आभूषण, माल ढुलाई, खनन, विनिर्माण, रियल एस्टेट, विमानपत्तन आदि शामिल हैं। कोविड-19 से पर्यटन और विमानन जैसे क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
एमएसएमई पर 25 करोड़ तक कर्ज
आरबीआई ने कहा है कि योजना में शामिल की जाने वाली एमएसएमई पर 1मार्च, 2020 तक कुल कर्ज 25 करोड़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए। प्राथमिक कृषि कर्ज समितियों और किसान सेवा समितियों को भी इसका लाभ मिलेेगा।
पर्सनल लोन पर ये योग्यता जरूरी
कर्जदाताओं की ओर से व्यक्तिगत रूप से दिए गए पर्सनल लोन के खाते शामिल होंगे, लेकिन कर्जदाताओं की ओर से अपने कर्मचारियों को दी गई क्रेडिट सुविधा इसके दायरे में नहीं आएगी।
1 मार्च, 2020 तक खाता स्टैंडर्ड होना चाहिए और 30 दिन से ज्यादा डिफॉल्ट नहीं होना चाहिए।
खाता उस अवधि तक स्टैंडर्ड माना जाएगा, जब तक कर्जदाता और कर्जधारक इस समाधान के तहत करार नहीं करते हैं।
कर्जधारक के खाते पर यह सुविधा 31 दिसंबर, 2020 तक हर हाल में लागू कर दी जानी चाहिए।
दो साल तक बढ़ सकती है कर्ज की अवधि
आरबीआई ने कहा है कि कर्जदाता पुनर्गठन के तहत भुगतान अवधि को दो साल तक बढ़ा सकते हैं। इसमें मोरेटोरियम की अवधि को शामिल नहीं किया जाएगा।
कर्ज पुनर्गठन सुविधा लेने के बाद कर्जधारक अगर भुगतान नहीं करता है, तो 30 दिन की समीक्षा के बाद डिफॉल्ट किया जा सकता है।
बैंक हर तिमाही मेें सुविधा लेने वाले खातों की जानकारी निर्धारित प्रारूप में आरबीआई के साथ साझा करेंगे।