आरबीआई की केवी कामत समिति की ओर से कर्ज पुनर्गठन पर दी गई सिफारिशें पहले से ज्यादा कारगर तो हैं, लेकिन इससे बैंकों पर दबाव बढ़ सकता है। बाजार विश्लेषकों ने अनुमान जताया है कि नई कर्ज पुनर्गठन योजना मौजूदा कॉरपोरेट कर्ज पुनर्गठन (सीडीआर) से ज्यादा कारगर हैं।
इससे पहले सोमवार को रिजर्व बैंक ने समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, जिसमें पांच मानकों पर 26 क्षेत्रों को राहत देने की बात कही गई है। बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्योरिटीज के विश्लेषक आनंद रथी ने कहा, सरकार की ओर से आर्थिक सुधार के लिए सेक्टर आधारित विशेष पैकेज नहीं दिया गया है। ऐसे में नई योजना के सामने कई चुनौतियां होंगी।
बाजार में अनिश्चितता की वजह से बैंक भी कर्ज पुनर्गठन का दायरा सीमित कर सकते हैं। उन्हें डर होगा कि अगर योजना को बड़े पैमाने पर लागू किया गया, तो आने वाले समय में दबाव बढ़ सकता है। उनके 8 फीसदी कर्ज वृद्धि के लक्ष्य में भी मुश्लिें आएंगी हालांकि, कामत समिति की सिफारिशें सीडीआर से ज्यादा कारगर हैं, जिसकी एनपीए के खिलाफ सफलता दर महज 15 फीसदी है। जापान की ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का कहना है कि व्यापक निगरानी के अभाव में योजना का गलत फायदा भी उठाया जा सकता है।
शामिल क्षेत्रों पर 38 लाख करोड़ कर्ज
कामत समिति की रिपोर्ट के अनुसार, योजना में शामिल 26 क्षेत्रों पर कुल 38 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। यह उद्योग जगत को बांटे गए कुल कर्ज का करीब 37 फीसदी होता है। इसमें रीयल एस्टेट, कारोबारी, होटल-रेस्तरां, बिजली वितरण कंपनियां आदि शामिल हैं।