लंदन। भारत जाने और बैंक घोटाले के मुकदमे से बचने के लिए हीरा कारोबारी नीरव मोदी के वकीलों ने ब्रिटिश कोर्ट में नया बहाना पेश किया है। कहा है कि भारत में नीरव का मामला राजनीति का शिकार हो गया है। ऐसे में मामले की न्यायिक प्रक्रिया के भेदभावपूर्ण होने का अंदेशा पैदा हो गया है। परिस्थितियां ऐसी हैं कि भारत भेजे जाने पर नीरव को वहां आत्महत्या भी करनी पड़ सकती है।
49 वर्षीय भगोड़े हीरा कारोबारी पर पंजाब नेशनल बैंक के 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का आरोप है। उसने इस धन को अवैध रूप से देश के बाहर भी भेजा। 2019 में वह लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था। अब उसके भारत प्रत्यर्पण के लिए लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। पांच दिन लगातार चलने वाली सुनवाई के दूसरे दिन जस्टिस सैम्युएल गूजी ने भारतीय जेलों के विषय में भारतीय अधिकारियों से प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन किया। इनमें मुंबई की आर्थर रोड जेल में हाल में हुए कोरोना संक्रमण की भी सूचना है। नीरव को प्रत्यर्पण के बाद इसी जेल में रखे जाने की संभावना है।
सुनवाई में नीरव मोदी की वकील क्लेयर मॉन्टगुमरी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश के बयान का हवाला देते हुए कहा कि भारत की न्यायिक व्यवस्था सवालों के घेरे में है। नीरव मोदी का मामला भारत में राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। उसे कोई भी निर्दोष मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में भारत में उनके मुवक्किल के साथ न्याय नहीं हो पाएगा।
क्लेयर ने कहा, आभूषण कारोबारी होने की वजह से नीरव भारत में लोगों की ईर्ष्या का शिकार है। तमाम सारे लोग राजनीतिक लाभ कमाने के लिए नीरव को दंडित होते देखना चाहते हैं। इसी के चलते भारतीय जांच एजेंसियां-सीबीआइ और ईडी बचाव पक्ष के गवाहों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहे हैं।
नीरव की वकील ने कोर्ट में कहा कि लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में उनके मुवक्किल का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते जुलाई में वह सिर्फ 25 मिनट के लिए अपनी कोठरी से निकला और बहुत कम समय के लिए परिजनों से मिल सका। इन स्थितियों में वह अवसाद का शिकार हो गया है। उसे उचित इलाज की जरूरत है।