प्रयागराज। जीवित्पुत्रिका व्रत गुरुवार को रखा जाएगा। व्रत की शुरुआत बुधवार यानी आज शाम से हो जाएगी। महिलाएं गंगा, यमुना, संगम अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प लेंगी। पुत्र की दीर्घायु, आरोग्यता व सुखमय जीवन के लिए माताएं निर्जला व्रत रखेंगी। इस व्रत को जितिया या जिउतिया आदि नामों से भी जाना जाता है।
यम-नियम से जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाएगा। गुरुवार को सूर्यास्त के बाद व्रती महिलाएं पूजन करेंगी। मां महालक्ष्मी व नारायण के चित्र अथवा प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करके अक्षत, रोली, फल, मिष्ठान, पुष्प, पान, सुपाड़ी अर्पित करके जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कहना अथवा सुनना चाहिए। बताया कि व्रत का पारण शुक्रवार को सूर्योदय होने पर किया जाएगा।
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि आश्विन मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि नौ सितंबर बुधवार की रात 9.44 से लग जाएगी। यह 10 सितंबर गुरुवार की रात 10.47 तक रहेगी। आचार्य ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा महाभारत से जुड़ी है। अश्वत्थामा ने बदले की भावना से उत्तरा के गर्भ में पल रहे पुत्र को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों के फल से उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर पुन: जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। वह बालक बाद में राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ।