एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमैन कोर्पोरेशन ने अपने लांच होने वाले सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर रखा है। ये अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में छोड़ा जाएगा। नासा ने फेसबुक पेज के जरिए ये जानकारी दी है। बता दें कि कल्पना चावला अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। 2003 में अंतरिक्ष यान में हुई एक दुर्घटना में उनकी और छह साथियों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
करनाल में हुआ जन्म
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। बचपन में कल्पना को ‘मोंटू’ के नाम से बुलाया जाता था। उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई थी। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई पूरी की। सपनों को पूरा करने के लिए नासा जाना जरूरी था। इसी उद्देश्य से वह साल 1982 में अमेरिका चली गईं। उन्होंने टैक्सस यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टेक किया। फिर यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।
साल 1988 में कल्पना चावला ने नासा ज्वॉइन किया। उनकी नियुक्ति नासा के रिसर्च सेंटर में हुई। इसके बाद मार्च 1995 में वह नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं। करीब आठ महीने के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 19 नवंबर 1997 को अपना पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू किया। भारत समेत पूरी दुनिया ने तालियां बजाकर और शुभकामनाएं देकर उनके दल को इस यात्रा पर रवाना किया था।
19 नवंबर 1997 को पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू
कल्पना चावला ने 19 नवंबर 1997 को अपना पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था। तब उनकी उम्र 35 साल थी। उन्होंने 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। अपने पहले मिशन के दौरान कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय करते हुए करीब 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए थे।
1 फरवरी 2003 को दुर्घटना में गई जान
अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय भयंकर दुर्घटना हुई। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफल कहलाया जाने वाला अभियान त्रासदी बन गया। नासा व विश्व के लिए यह एक दर्दनाक घटना थी।