लखनऊ । भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर काम करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते साढ़े तीन साल में कई बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की है। चाहे आईएएस-आईपीएस अधिकारी हों या इंजीनियर, भ्रष्टाचार सामने आने पर सभी कार्रवाई की चपेट में आए हैं। ऐसे लोगों की संख्या 775 तक पहुंच गई है। सत्ता के रसूख में दबे पुराने मामलों को तो खंगाला ही गया, घोटाले में शामिल रहे लोगों की रिटायर होने के बाद पेंशन तक रोकी गई। विपक्ष के भ्रष्टाचार पर हमलावर रहने वाली भाजपा सरकार ने इस कार्रवाई से साफ संदेश दे दिया है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर किसी कीमत पर समझौता नहीं हो सकता।
पिछले साढ़े तीन वर्षों में भाजपा सरकार अलग-अलग विभागों के 325 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है। सरकार ने 450 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं। सरकार ने ऊर्जा विभाग के 169 अधिकारियों, गृह विभाग के 51 अधिकारियों, परिवहन विभाग के 37 अधिकारियों, राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों, बेसिक शिक्षा के 26 अधिकारियों, पंचायतीराज के 25 अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी के 18 अधिकारियों, श्रम विभाग के 16 अधिकारियों, संस्थागत वित्त विभाग के 16 अधिकारियों, कमर्शियल टैक्स के 16 अधिकारियों, मनोरंजन कर विभाग के 16 अधिकारियों, ग्राम्य विकास विभाग के 15 अधिकारियों और वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई की है।
सात पीपीएस को दी अनिवार्य सेवानिवृत्ति
सरकार ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए कुछ दिन पहले पीपीएस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की थी। सात पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। ग्राम विकास अधिकारी पद पर नियुक्ति में नियमों की अवहेलना करने वाले बदायूं, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी एवं कासगंज के जिला विकास अधिकारियों को निलंबित किया गया था। यही नहीं, 44 करोड़ की वित्तीय अनियमितता के आरोपी लोकनिर्माण विभाग के बस्ती में तैनात रहे अधिशासी अभियंता को बर्खास्त किया गया। पर्यटन विभाग, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर लखनऊ के पूर्व मुख्य लेखाधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के पूर्व कुलपति, कुलसचिव और अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोग चलाने की स्वीकृति दी गई। उन पर अनियमितता की धाराओं में अभियोग चलेगा। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, कुमारगंज, फैजाबाद के पूर्व कुलपति व तीन अन्य के विरुद्ध अभियोग दर्ज की स्वीकृति दी गई।
परफॉर्मेंस ग्रांट मामले में भी कार्रवाई
पूर्व निदेशक पंचायतीराज को पद पर रहते हुए भारत सरकार की गाइडलाइन व शासनादेशों की अनदेखी कर अपात्र ग्राम पंचायतों को परफॉर्मेंस ग्रांट प्रदान करने के प्रकरण में केस दर्ज करने के निर्देश दिए गए। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में कार्यरत सहायक निदेशक स्तर के एक अधिकारी को अनुशासनिक जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा के मूल पद पर पदावनत कर दिया गया।