लखनऊ। 11 मार्च को शहर में कोराेना संक्रमण की पहली दस्तक हई थी। गोमती नगर में महिला डाक्टर के संक्रमित हाेने को आज छह महीने के पूरे हाे रहे हैं। इस दौरान कोरोना ने शहर के तमाम इलाकों में अपनी पैठ बनायी है। मरीजों का आंकड़ा 36 हजार को पार कर गया है, जो हम सबको सतर्क रहने की चेतावनी दे रहा है। 25 मार्च से लॉक डाउन के बाद जून-जुलाई में मरीजों का ग्राफ चढ़ा और अगस्त में रिकार्डतोड़ इजाफा हुआ। सितंबर में भी हालात जस के तस बने हैं। लॉकडाउन में जैसे-जैसे ढील मिली मरीजों की संख्या बढ़ती रही। इसके बावजूद राहत की बात है कि संक्रमित मरीजों में से 74 प्रतिशत मरीज ठीक हो रहे हैं।
कोरोना ने अब तक पौने पांच सौ लोगाें को अपना शिकार बनाया है, जिनमें करीब पचास प्रतिशत बुजुर्ग हैं। कोरोना की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भले ही मरने वालों में आधे साठ के उम्र के पार के हों, लेकिन संक्रमण की जद में सबसे अधिक युवा आ रहे हैं, जो खतरे का संकेत हैं। छह महीनों में अगर कुल संक्रमित मरीजों की बात करें तो करीब 48 प्रतिशत संक्रमित 21 से चालीस वर्ष उम्र के बीच हैं। यह आंकड़ा युवाओं को भी कोरोना को लेकर किसी तरह की गलतफहमी और लापरवाही नहीं बरतने का संकेत है। कोरोना के खौफ के बीच प्रशासनिक कोशिशें भी असर दिखा रही हैं।
होम आइसोलेशन के बाद मरीजों को काफी राहत मिल रही है और अस्पतालों पर भार भी कम हो रहा है। इंटीग्रटेड कंट्रोल रूम कोरोना काल में मरीज और प्रशासन के बीच सेतु का काम रहा है। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश का कहना है कि सूबे में राजधानी में सबसे अधिक जांच की जा रही है। यहां पर ठीक होने की दर 74 प्रतिशत से अधिक है और डेथ रेट केवल एक प्रतिशत के करीब है।