उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों के सामान्य भविष्य निधि और अंशदायी भविष्य निधि (पेंशन) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं। कर्मचारियों और विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया तो सरकार ने शनिवार को कई कार्रवाइयां कीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच कराने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं।
इस बीच मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिये गये हैं। इसके साथ ही पूरे प्रकरण की जांच शुरू करा दी गई है। इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया है। मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक का घोटाला सामने आने के बाद यह बात खुली की इस बैंक से डीएचएफएल का भी जुड़ाव रहा है।
मुंबई हाईकोर्ट ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के साथ ही डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी है। ये बातें सामने आने के बाद कारपोरेशन हरकत में आया। बीते 10 अक्तूबर को कारपोरेशन ने पावर सेक्टर इंप्लाइज ट्रस्ट के सचिव व कारपोरेशन के महाप्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को निलंबित कर दिया था। विभागीय कार्यवाही भी जा रही है। शनिवार को सरकार ने इस मामले में प्राथिमकी दर्ज कराई, जिसके बाद प्रवीण कुमार गुप्ता के साथ ही सुधांशु द्विवेदी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
नियम विरुद्ध दांव पर लगाया कर्मचारियों का पैसा
नियम विरुद्ध जाकर कर्मचारियों के पैसे को डीएचएफएल में निवेश किया गया था। गैर सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में निवेश के लिए संबंधित ट्रस्टों को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने किसी ने किसी को भी अधिकृत नहीं किया था। इस निवेश के लिए उच्च प्रबंधन का कोई अनुमोदन भी नहीं लिया गया था। गाइडलाइन के अनुसार सिक्योरिटीज में ही निवेश करने का प्रावधान है जबकि डीएचएफएल में फिक्सड डिपाजिट किया गया था। मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच डीएचएफएल में सामान्य भविष्य निधि से 2631.20 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था।