लखनऊ। राजधानी लखनऊ के मेडिकल संस्थानों में आउट सोर्सिंग पर तैनात 10 हजार हेल्थ वर्कर ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोस्टकार्ड लिखे। कर्मचारियों ने वेतन विसंगति दूर करने की मांग की। पक्की नौकरी के लिए सरकार से गुजारिश की है। साथ ही प्रदेश में आउटसोर्सिंग व्यवस्था बंद करने की मांग की।
गांधी जयंती पर लोहिया संस्थान, केजीएमयू और पीजीआई के 10 हजार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड लिखे। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग-संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रितेश मल ने कहा कि प्रदेश भर के एक लाख कर्मियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन में करीब 52 फीसदी की कटौती विभिन्न मदों में की जा रही है।
नतीजतन वेतन बहुत कम हो जाता है। यदि विभागीय संविदा पर रखा जाए तो यही सारा पैसा कर्मचारियों को सीधे विभाग से मिलेगा। बिचौलियों का खेल खत्म हो जाएगा। इससे सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं बढ़ेगा।
ईपीएफ की रसीद नहीं दे रहे
महामंत्री सच्चितानंद ने कहा कि हर साल बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया जाता है। समय पर तनख्वाह नहीं देते। ईपीएफ और ईएसआई की कटौती की रसीद तक नहीं दी जाती है। कोरोना महामारी में कर्मचारी अपना जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा कर रहे हैं। इसके बदले बोनस भत्ता या वेतन बढ़ोतरी का लाभ नहीं दिया गया है।
ये हैं मांगे
प्रदेश में आउटसोर्सिंग व्यवस्था बंद की जाए
-कार्यरत कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर समायोजित किया जाए
-समान कार्य समान वेतन
-मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 16000 दिया जाए
-होम्योपैथिक चिकित्सालयों के कर्मचारियों का बकाया भुगतान हो
-लोहिया, पीजीआई व केजीएमयू के कर्मचारियों को एनएचएम के बराबर वेतनमान दिए जाए। वेतन समिति की नौ अगस्त 2018 की रिपोर्ट लागू की जाए।