प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत से अपील की थी कि कोरोना काल के अभूतपूर्व संकट को देखते हुए वे इस दौरान किसी कर्मचारी की छंटनी न करें। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील के बावजूद खुद केंद्र सरकार के ही मंत्रालयों-विभागों में छंटनी का काम जारी है। ताजा मामला नेशनल मेडिकल कमिशन (पूर्व नाम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) का है, जहां के 92 कर्मचारियों को ऑफिस न आने का आदेश जारी कर दिया गया है।
यह आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के उस स्टे ऑर्डर के बाद भी जारी किया गया है जिसमें इन कर्मचारियों को हटाने पर नवंबर तक रोक लगाई गई थी। इस आदेश से एनएमसी में 20-30 साल से काम करते आ रहे 92 कर्मचारियों की जिंदगी के सामने अचानक अंधेरा छा गया है। बुधवार को जब कर्मचारी कार्यालय पहुंचे तो वहां उन्हें ताला जड़ा मिला।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव करते हुए इसका नियमन करने वाली संस्था मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को खत्म कर दिया है। इसकी जगह 24 सितंबर 2020 से नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी का गठन कर दिया गया है। एनएमसी का गठन करने के समय ही सरकार ने बिल के बिंदु 60(3) में स्पष्ट कर दिया था कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पुराने कर्मचारियों को तीन महीने का वेतन देकर हटा दिया जाएगा।
लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के 92 कर्मचारी दिल्ली हाईकोर्ट चले गए और खुद को हटाए जाने का विरोध किया। कर्मचारियों ने कोर्ट को बताया कि इनमें से अनेक कर्मचारी 20-30 साल तक से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में काम करते रहे हैं, इसलिए उन्हें अचानक इस तरह से हटाना गलत है। नई संस्था का गठन करने के समय सरकार को इन कर्मचारियों को नई संंस्था में या किसी अन्य जगह पर स्थानांतरित करना चाहिए। न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति आशा मेनन की बेंच ने कर्मचारियों का पक्ष सुनते हुए उनको हटाए जाने के बिंंदु पर 14 नवंबर 2019 को स्टे ऑर्डर जारी कर दिया। यह स्टे ऑर्डर अभी भी नवंबर तक प्रभावी है। मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर 2020 को है।
पांच अक्टूबर को आया ये आदेश
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में पिछले 28 साल से निजी सचिव की भूमिका निभा रहे रवि भार्गव ने अमर उजाला को बताया कि वे 1992 से यहां काम कर रहे हैं। उनकी नौकरी स्थाई प्रकृति की है और वे पेंशन के भी हकदार हैं। लेकिन इस तरह अचानक हटाए जाने के विरोध में उन्होंने अदालत में अपील की थी, जिस पर अभी स्टे ऑर्डर जारी है। लेकिन कोर्ट के स्टे ऑर्डर को नजरअंदाज करते हुए केंद्र सरकार ने 5 अक्टूबर 2020 को एक आदेश जारी करते हुए उनके जैसे 92 कर्मचारियों को ऑफिस न आने का आदेश जारी कर दिया। आज जब वे अपने साथियों के साथ कार्यालय पहुंचे तो यहां उन्हें ताला बंद मिला। सभी 92 कर्मचारियों को कार्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन (पुरानेे में एमसीआई) का यह कार्यालय द्वारका के सेक्टर-8 के पॉकेट-14 में स्थित है।