बिहार में सोमवार से 5 दिन विधानसभा का विशेष सत्र चलेगा। जिसमें विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह से लेकर विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। माना जा रहा है सत्र के समाप्ति के बाद कभी भी बिहार में नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार सकते हैं। इस बार जदयू से सात और बीजेपी के दस विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। मौजूदा समय में बिहार में मुख्यमंत्री को लेकर 14 कैबिनेट मंत्री हैं।
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, अशोक चौधरी जैसे वरिष्ठ मंत्रियों के पास पांच-पांच मंत्रालयों का भार है। कई ऐसे मंत्री भी हैं जिनके पास दो से तीन मंत्रालय है।पिछले दिनों भ्रष्टाचार के आरोप के बाद शिक्षा मंत्री मेवा लाल चौधरी को इस्तीफा देना पड़ा था। जिससे एक सीट पहले से ही खाली है। शिक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार इस समय अशोक चौधरी के पास है। जोकि नीतीश कुमार के करीबी नेता माने जाते हैं।
जदयू नेता के अनुसार अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो जेडीयू की तुलना में बीजेपी के ज्यादा मंत्री बनेंगे। क्योंकि उनके विधायकों की संख्या अधिक है। इस कैबिनेट विस्तार में सहयोगी दल हम और वीआईपी के विधायकों को मंत्री बनाने की संभावना कम ही है। सूत्रों के अनुसार बिहार सरकार 36 कैबिनेट मंत्री बन सकते है लेकिन मुख्यमंत्री अपना मंत्रिमंडल छोटा रख सकते हैं।
इस मंत्रिमंडल विस्तार में साफ चेहरे जिनपर कोई केस या आरोप नहीं है उनको ज्यादा तरजीह दिया जाएगा। शिक्षामंत्री मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार की काफी किरकिरी हुई थी। इस बार वह इससे बचना चाहेंगे। मौजूदा विधानसभा में भाजपा के पास 74, जेडीयू के पास 43 विधायक हैं। एनडीए गठबंधन में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है।