अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय इस साल शताब्दी वर्ष समारोह मना रहा है। एएमयू के इतिहास में 56 साल बाद ऐसा मौका आया है जब प्रधानमंत्री ने विश्वविद्यालय के कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने एएमयू के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक डाक टिकट भी जारी किया।
कार्यक्रम में पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें-
एएमयू से पास हुए छात्र भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी छाए हुए हैं। मुझे कई एन्युमनाई मिले हैं जो गर्व से बताते हैं कि मैं एएमयू से पढ़ा हूं। एएमयू केवल एक इमारत नहीं बल्कि इतिहास है। यह देश की अमूल्य धरोहर है।
एएमयू कैंपस अपने आप में एक मिनी इंडिया है। देश उस रास्ते पर है जहां मजहब की वजह से कोई पीछे न छूटे। यहां एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना मजबूत हो रही है।
मुझे एएमयू के एक पूर्व छात्र ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब देश में 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने तो इसका लाभ सबको हुआ। एक समय था जब हमारे देश में मुस्लिम बेटियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट 70 प्रतिशत से अधिक था। इन्हीं स्थितियों में स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुआ। गांव गांव शौचालय बने। स्कूल जाने वाली बेटियों के लिए स्कूलों में शौचालय बने। आज मुस्लिम बेटियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट घटकर 30 प्रतिशत रह गया है।
पिछले छह साल में सरकार द्वारा करीब एक करोड़ मुस्लिम बेटियों को छात्रवृत्ति दी गई है। महिलाओं को शिक्षित होना जरूरी है ताकि वे अपने अधिकारों के बारे में जान सकें।
बिना किसी भेदभाव आयुष्मान योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज संभव हुआ। जो देश का है वो हर देशवासी का है और इसका लाभ हर देशवासी को मिलना ही चाहिए, हमारी सरकार इसी भावना के साथ काम कर रही है।
आज देश जो योजनाएं बना रहा है वो बिना किसी मत मजहब के भेद के हर वर्ग तक पहुंच रही हैं। बिना भेदभाव, 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खुले। बिना भेदभाव, 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर दिए गए। बिना भेदभाव 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को गैस कनेक्शन मिला।
नई शिक्षा नीति में छात्रों की दिलचस्पी को ध्यान में रखा गया है। इसमें भारत के युवाओं की महत्वकांक्षाओं को जगह दी गई है। इससे छात्रों को अपनी शिक्षा के बारे में फैसले लेने में आसानी होगी।
सरकार उच्च शिक्षा में सीटें और छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए भी काम कर रही है। 2014 में हमारे पास 16 आईआईटी थे, जो अब 23 हैं। 2014 में हमारे देश में 9 आईआईआईटी थे, जो अब 25 हैं। 2014 में हमारे पास 13 आईआईएम थे, आज इनकी संख्या 20 है।
हम सबका लक्ष्य है देश को आत्मनिर्भर बनाना। समाज में वैचारिक मतभेद तो स्वभाविक है, लेकिन राष्ट्र के लक्ष्य प्राप्ति में हमें सारे मतभेद को किनारे कर देना चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगर हमें एएमयू के सुझाव मिलेंगे तो खुशी होगी।
जब हम नए भारत की बात करते हैं तो उसके मूल में भी यही होता है कि राष्ट्र के विकास को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए। हालांकि कुछ तत्व इससे परेशान हो सकते हैं, लेकिन वे ऐसे लोग हैं जो अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए हर प्रकार की नकारात्मकता फैलाएंगे।
एएमयू के 100 साल पूरे होने पर एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं और इन 100 वर्षों में जिन जिन महापुरुषों ने इस संस्थान की गरिमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में योगदान दिया है उनका भी पुण्यस्मरण करता हूं। एएमयू के उत्तर भविष्य के लिए शुभकामनाएं। आपके सपनों को पूरा करने के लिए हम भी कभी पीछे नहीं रहेंगे।