नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के मामले के एक आरोपी को अदालत ने जमानत दे दी है। दंगोंं के दौरान इस आरोपी पर एक व्यक्ति की हत्या का आरोप है। अदालत ने कहा कि इस मामले के चश्मदीद गवाह के बयान घटना के 83 दिन बाद दर्ज किए गए। यह आरोपी के जमानत पाने का आधार बनता है।
कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने कहा कि इस मामले में सबसे बड़ी खामी यह है कि आरोपी के खिलाफ एक चश्मदीद गवाह के बयान के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया था, लेकिन पुलिस को यह देखना चाहिए कि यह गवाह घटना के 83 दिन बाद सामने आया, जबकि दंगों के तुरंत बाद कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई थी।
अदालत ने कहा कि गवाह को सामने आकर तुरंत बयान दर्ज कराने चाहिए थे। चश्मदीद के देरी से सामने आना मामले में संदेह उत्पन्न करता है। अदालत ने कहा कि हालांकि इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की जा रही है। जिस अदालत में सुनवाई चलेगी, वही अदालत अंतिम निर्णय करेगी।
अदालत ने आरोपी को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके एवं इतने ही रुपये मूल्य के जमानती के आधार पर जमानत प्रदान की है। पुलिस के मुताबिक, यह घटना 25 फरवरी 2020 को दयालपुर इलाके में घटित हुई थी। इस घटना में एक व्यक्ति की भीड़ ने हत्या कर दी थी। इस मामले में कई अन्य लोग भी आरोपी हैं, लेकिन इस व्यक्ति को घटना के 83 दिन बाद आरोपी बनाया गया। इसके पीछे वजह बताई गई कि आरोपी को दंगों के दौरान पीड़ित को मारते देखने वाला व्यक्ति लम्बे समय बाद पुलिस के सामने आया और उसने आरेापी की पहचान की।