नई दिल्ली। देश के प्रमुख शहरों के बीच अब शोध और शिक्षा को लेकर भी प्रतिस्पर्धा दिखेगी। इसकी शुरआत नौ शहरों से होगी। फिलहाल इसके लिए शहरों के चयन का काम तेजी से चल रहा है। जिन शहरों को अब तक इसके उपयुक्त पाया गया है, उनमें दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, जम्मू, बेंगलुर, वाराणसी, पुणे, भुवनेश्वर, जोधपुर और चेन्नई आदि शामिल हैं। हालांकि इनके अंतिम चयन पर अभी मुहर लगनी बाकी है। खास बात यह है कि सरकार इन शहरों को शोध और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एकजुट होकर काम करने के लिए अलग से वित्तीय मदद मुहैया कराएगी।
फिलहाल ऐसे शहरों के चयन का जो आधार बनाया गया है, उनमें शोध और उच्च शिक्षण संस्थानों की मौजूदगी के साथ उद्योगों के जुड़ाव को भी देखा जा रहा है। इससे उद्योगों को भी मदद मिल सकेगी। माना जा रहा है कि इनमें चयनित होने वाले शहर उच्च शिक्षा के एक बड़े हब के रूप में विकसित होंगे। इसका फायदा न सिर्फ देश को मिलेगा बल्कि इन शहरों की ओर से दुनियाभर के छात्रों को आकर्षित किया जा सकेगा। मौजूदा समय में स्टडी इन इंडिया मुहिम के तहत सरकार दूसरे देशों के छात्रों को अपने यहां आकर्षित करने की मुहिम में तेजी से जुटी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद इनमें तेजी भी दिखी है। जिन शहरों को इसके लिए उपयुक्त पाया गया है, उनमें जोधपुर और चेन्नई भी शामिल हैं। शहरों के चयन को लेकर मंत्रलय के स्तर पर अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक इन शहरों के चयन का काम पूरा हो जाएगा।
सरकार ने बजट में ही शोध और उच्च शिक्षण संस्थानों की बाहुल्यता वाले ऐसे नौ शहरों को अलग से वित्तीय मदद देने की घोषणा की थी। इसे ग्लू ग्रांट नाम दिया था। इसका मकसद एक ही शहर में मौजूद दर्जनों संस्थानों द्वारा एकजुट होकर काम करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना था।
मौजूदा समय में देश में ऐसे दो दर्जन से ज्यादा शहर हैं, जहां मौजूदा समय में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े करीब 40 शोध और उच्च शिक्षण संस्थान मौजूद हैं। इनमें हैदराबाद भी शामिल है। जहां इस समय 40 से ज्यादा शोध और उच्च शिक्षण संस्थान काम कर रहे हैं। सरकार का मानना है कि अभी ऐसे शहरों में मौजूद इन संस्थानों को अलग-अलग विभागों से वित्तीय मदद दी जाती है और वे अलग-अलग काम करते हैं।