नई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए आम आदमी पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी भी जोर-शोर से जुट गई है। दिल्ली में भाजपा-AAP के खिलाफ अब प्रियंका वाड्रा ने अब दिल्ली की कमान संभाल ली है। उन्होंने न केवल पार्टी की मोटी-मोटी रणनीति तय कर ली है बल्कि प्रदेश कांग्रेस को यह प्रस्ताव भी दे दिया है कि जहां उनकी जरूरत हो, उन्हें बुलाया जा सकता है। हरियाणा में पार्टी के प्रदर्शन से उत्साहित प्रियंका वाड्रा का कहना है कि अगर बेहतर ढंग से चुनाव लड़ा गया तो दिल्ली में सरकार कांग्रेस की ही बनेगी।
मंगलवार की शाम प्रियंका वाड्रा ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के वार रूम में दिल्ली के सभी जिला अध्यक्षों और सभी फ्रंटल संगठनों के अध्यक्षों के साथ पहली बार लंबी बैठक की। बैठक में वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एआइसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी पीसी चाको, प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद भी मौजूद रहे।
पौने दो घंटे चली इस बैठक में प्रियंका ने दिल्ली के सभी नेता और पदाधिकारियों से कहा कि जनसंपर्क और सोशल मीडिया के जरिये पार्टी के कार्यो को घर- घर तक पहुंचाने का अभियान शुरू कीजिए। उन्होंने कहा कि इस वक्त प्रदूषण शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है, इसको भी भुनाइए। जनता के बीच जाइए, धरने-प्रदर्शन कीजिए और मास्क भी बांटिए।
प्रदेश कांग्रेस को दिसंबर माह के पहले सप्ताह में एक जनसभा या रैली रखने के लिए भी कहा है जिसे पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी भी संबोधित करेंगी। इसके माध्यम से दिल्ली में चुनावी बिगुल फूंका जाएगा। प्रियंका ने चाको और सुभाष चोपड़ा की सराहना भी की कि दिल्ली में पार्टी अब अच्छा कर रही है, सभी नेता-कार्यकर्ता संगठित हो रहे हैं।
हालांकि दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस में चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद इस समय उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। सीधे सोनिया गांधी द्वारा नियुक्त किए जाने के बावजूद करीब दो सप्ताह बाद भी उन्हें प्रदेश कार्यालय में बैठने की जगह नहीं दी गई है। एक दिन उन्हें दूसरी मंजिल पर बैठने को कहा गया तो दूसरे दिन तीसरी और तीसरे दिन चौथी मंजिल पर बैठने को कह दिया गया। सूत्र बताते हैं कि कीर्ति के साथ कामकाज में भी असहयोग किया जा रहा है। न उन्हें पार्टी पदाधिकारियों के नंबर दिए जा रहे हैं और न ही उनकी बैठकें रखी जा रही हैं। मंगलवार को हुई शत्रुघ्न सिन्हा की पत्रकार वार्ता की भी उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई। बताया जाता है कि इस सारी स्थिति के विरोध में उन्होंने मंगलवार से प्रदेश आना भी बंद कर दिया है। यही नहीं, उन्होंने अपने साथ किए जा रहे इस व्यवहार को लेकर एआइसीसी में भी बात की है और सोनिया गांधी से भी मुलाकात का समय मांगा है।