दिल्ली बॉर्डर पर पक्के मकान निर्माण के बाद अब किसान आंदोलनस्थल के पास पड़ी खाली जगह पर खेती भी करेंगे। इन जगहों पर किसान रोजमर्रा की जरूरत वाले पौधे उगाएंगे। किसान नेता अंकूर मंदौला ने बताया कि खाली पड़ी जगह पर कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ऐसे में अब किसान इस जगह को खेती के लिए इस्तेमाल करेंगे। खेती से होने वाली फसल को आंदोलन में इस्तेमाल करने के साथ ही स्थानीय लोगों के काम भी आ सकेगी। आंदोलन के साथ ही किसान जो काम कर सकता है वो यहां किए जाएंगे।
किसान नेता अनूप सिंह चानौत ने बताया कि सरकार किसानों की मांग पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है। सौ दिन से ज्यादा दिन गुजर जाने के बाद भी किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं। ऐसे में किसानों को खाली बैठने की आदत नहीं है। जिसके चलते आंदोलनस्थल पर ही किसान अपने लिए संसाधन जुटाने लगे हैं। अनूप सिंह चानौत ने कहा कि सरकार का भरोसा नहीं है कि वह कब बात करेगी। ऐसे में जब लंबे समय तक बॉर्डर पर बैठना है तो पक्के मकान के बाद अब जरूरत के लिए खेती भी यहीं अनूप सिंह चानौत ने शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी वजह से किसी को कोई परेशानी न हो इसका किसान पूरा ध्यान रख रहे हैं।
ऑटो शुरू किए गए
अपून चानौत ने बताया कि आंदोलन के शुरूआती दिनों में यहां से बहादूरगढ़ जाने के लिए लोगों को पैदल जाना पड़ रहा था। स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए किसानों ने सड़कों को पूरी तरह से यातायात के लिए खोल दी है। जिसके बाद अब यहां ऑटो चलने शुरू हो गए हैं। सड़कें पुलिस ने बंद की हैं, किसानों ने कहीं भी कोई सड़क बंद नहीं की है। हम तो लोगों की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए हर संभव मदद के लिए तैयार हैं।