महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में सोमवार को होला मोहल्ला कार्यक्रम के दौरान पुलिस पर हमला और हिंसा करने वालों पर अब शिकंजा कसना शुरू हो गया है। अब तक हिंसा के 14 आरोपियों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है और कुल 64 लोगों पर हत्या के प्रयास और दंगा फैलाने के आरोपों में केस दर्ज किया गया है। इस हिंसा में 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, जिनमें से एक सिपाही की हालत गंभीर बनी हुई है। दरअसल तलवारें थामे हुई भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन की ओर से सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर रोक लगाई गई थी। लेकिन हिंसक भीड़ इसके विरोध में उतर आई और पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ डाली। यही नहीं पुलिसकर्मियों पर दौड़ा-दौड़कर हमला भी किया।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था। इसमें गुरुद्वारे से निकली भीड़ में से बड़ी संख्या में लोगों को पुलिसकर्मियों का पीछा करते और हमला करते हुए देखा गया था। यही नहीं हिंसक भीड़ ने कई वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की थी। नांदेड़ रेंज के आईजी निसार तंबोली ने कहा कि कोरोना के चलते होला मोहल्ला के सार्वजनिक कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दी गई थी। गुरुद्वारा कमिटी ने हमें भरोसा दिया था कि वे नियमों के अनुसार ही काम करेंगे और गुरुद्वारे के भीतर ही कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।
उन्होंने कहा कि शाम को 4 बजे तक सब सही था, लेकिन जब निशान साहिब (सिखों का पवित्र ध्वज) को बाहर लाया गया तो कार्यक्रम में शामिल करीब 300 युवाओं ने पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी और पुलिस पर हमला बोल दिया। होला मोहल्ला सिखों का एक पर्व होता है, जो आमतौर पर तीन दिनों तक चलता है। कई बार इसकी शुरुआत होली के अगले दिन या फिर उसी दिन से होती है। इस आयोजन में सिख युवा मार्शल आर्ट से जुड़े अपने करतबों का प्रदर्शन करते हैं। बता दें कि महाराष्ट्र का नांदेड़ साहिब सिखों के लिए बड़ा धार्मिक केंद्र है। यहीं पर सिखों के आखिरी गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन काल के आखिरी 14 महीने बिताए थे।