दुबई । मिस्त्र की स्वेज नहर में फंसा विशालकाय कार्गो कंटेनर शिप सोमवार देर शाम निकल गया। इसके साथ ही नहर में आवागमन सामान्य हो गया। पहली खेप में 43 जहाजों को गंतव्य की ओर रवाना किया गया। शिप के फंसने के चलते यह मार्ग पिछले एक सप्ताह से बंद था, जिसकी वजह से नहर में 400 से अधिक जहाजों का जमावड़ा लग गया था। इस बीच, स्वेज नहर में शिप के फंसने की जांच शुरू कर दी गई है। जांच अधिकारियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि जहाज फंसा कैसे? मिस्त्र के सरकारी अधिकारी, बीमा कंपनियां, जहाज संचालक और अन्य को जहाज फंसने का कारण जानने का इंतजार हैं।स्वेज कनाल अथॉरिटी के चेयरमैन ओसामा रेबइ ने कहा कि शिप को निकाले जाने के दौरान इसको किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। शिप को निकालने के लिए ना केवल उसके नीचे की तीस हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी निकालनी पड़ी बल्कि 11 छोटी और दो बड़ी नौकाओं का सहारा लेना पड़ा। शिप की टेक्निकल मैनेजर्स बर्नहार्ड शुल्त शिपमैनेजमेंट ने कहा है कि शिप से किसी तरह के रिसाव और प्रदूषण फैलने की खबर नहीं है। फंसे हुए शिपों को निकलने में तीन दिन का समय लगेगा।
5 जून 1967 को इजरायल ने मिस्त्र पर बमबारी कर दी थी। उस वक्त बुल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, फ्रांस, ब्रिटेन, पोलैंड, स्वीडन, पश्चिमी जर्मनी और अमेरिका के 15 जहाज स्वेज नहर से गुजर रहे थे। बमबारी में एक जहाज डूब गया। दस जून को ये जंग खत्म हो गई, लेकिन मिस्त्र ने उसके बाद भी आठ वर्षो तक स्वेज नहर का रास्ता बंद रखा। इसके अलावा वर्ष 2004, 2006 और 2017 में जहाजों के फंसने से यह मार्ग कुछ दिनों के लिए बंद हुआ था।