वसूली के आरोपों में घिरे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया है। देशमुख ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेज दिया है। देशमुख उद्धव से मिलने उनके घर भी पहुंचे हैं। गृहमंत्री के इस्तीफे के बीच राकांपा चीफ शरद पवार और डिप्टी सीएम अजित पवार के बीच मुलाकात हुई है।
देशमुख ने इस्तीफे में लिखा- आज माननीय हाईकोर्ट की ओर से एडवोकेट जयश्री पाटिल की याचिका पर CBI जांच का आदेश दिया गया है। इसलिए मैं नैतिक आधार पर गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देता हूं। मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि मुझे गृह मंत्री के पद से मुक्त किया जाए।
तीन घंटे पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने वसूली के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोप छोटे नहीं हैं और राज्य के गृह मंत्री पर हैं, इसलिए पुलिस इसकी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने देशमुख पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि देशमुख ने निलंबित API सचिव वझे को 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था।
CBI इस मामले में बिना FIR के करे जांच
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा- यह पूरा मामला FIR के इर्दगिर्द घूम रहा है। जयश्री पाटिल ने पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाने का प्रयास किया था, लेकिन उनकी FIR दर्ज नहीं हुई। हम इस मामले से जुड़े अन्य मुद्दों पर अभी बात नहीं करेंगे। हम इस बात से सहमत हैं कि यह एक अभूतपूर्व मामला है। अनिल देशमुख पुलिस विभाग को लीड करने वाले गृह मंत्री हैं। इस मामले में एक इंडिपेंडेंट जांच होनी चाहिए, इसलिए CBI फिलहाल बिना FIR दर्ज किए इस मामले की जांच करे और 15 दिन में अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश करे।
इस मामले से जुडी एक अन्य याचिका में परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। याचिका में गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच की मांग की गई थी। साथ ही मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर के पद से ट्रांसफर करने के आदेश को भी चुनौती दी है। इससे पहले अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच की मांग को लेकर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा था।
राउत बोले- फैसले की जानकारी नहीं
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि मुझे अदालत के फैसले की कोई जानकारी नहीं है और बिना जानकारी के लिए मैं राज्य के गृह मंत्री के बारे में कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकता। कोर्ट ने जो भी बातें कहीं हैं, उसका आकलन करना होगा और उसके बाद ही सरकार इस पर कोई अपना पक्ष रखेगी। महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने समय-समय पर इस मुद्दे को लेकर अपनी भूमिका रखी है और आगे भी वह अपनी बातें सही फोरम पर रखेंगे
कोर्ट ने पहले डॉ. जयश्री पाटिल को फटकार लगाई थी
हालांकि, हाईकोर्ट ने इससे पहले जयश्री को उनकी याचिका पर कड़ी फटकार लगाई थी। जस्टिस एसएस शिंदे की बेंच ने कहा था, ‘हमारा विचार है कि इस तरह की याचिकाएं सस्ते प्रचार के लिए दायर की जाती हैं। आप कहती हैं कि आप अपराधशास्त्र (Criminology) में डॉक्टरेट हैं, लेकिन आप की ओर से ड्राफ्ट किया एक भी पैराग्राफ हमें दिखाएं।
आपकी पूरी याचिका एक पत्र (परमबीर सिंह का CM को लिखा पत्र) से निकाले पैराग्राफ पर आधारित है। इसमें आपकी ओरिजिनल डिमांड कहां हैं? आप के पॉइंट्स कहां हैं?’ इस पर एडवोकेट पाटिल ने कहा कि वह पहले पुलिस के पास शिकायत लेकर गई थीं, लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कोर्ट ने परमबीर को भी फटकार लगाई थी
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने परमबीर सिंह को फटकार लगाते हुए कहा था, ‘आप साधारण आदमी नहीं हैं। गलत काम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना आपकी जिम्मेदारी थी। यह जानने के बावजूद कि आपके ‘बॉस’ की ओर से अपराध किया जा रहा है, आप चुप रहे। हाईकोर्ट ने पूछा था कि पुलिस में बिना कोई शिकायत दर्ज हुए CBI जांच का आदेश कैसे दिया जा सकता है? कोर्ट ने पूछा था कि आपने गृह मंत्री के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई? अगर शिकायत नहीं दर्ज होती तो मजिस्ट्रेट के पास जाते, आप हाईकोर्ट को मजिस्ट्रेट कोर्ट में नहीं बदल सकते।’
परमबीर सिंह का आरोप
परमबीर सिंह का कहना है कि गृह मंत्री देशमुख ने निलंबित API सचिव वझे को 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था। परमबीर सिंह का दावा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी ये बात बताई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। परमबीर ने अपने ट्रांसफर के आदेश को भी चुनौती दी है। उनका कहना है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अफसर रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट की जांच की जानी चाहिए।
परमबीर का दावा है कि गृह मंत्री देशमुख सचिन वझे के साथ अपने बंगले पर लगातार बैठक कर रहे थे। इसी दौरान 100 करोड़ कलेक्शन का टारगेट दिया गया था। परमबीर ने देशमुख के बंगले के CCTV फुटेज की जांच करने की मांग भी की है।